नाते पाक व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के बाद आजमगढ़ के जाकिर हुसैन आजमी ने 'तन्हा कभी रहे है ना तन्हा रहेगे हम, कैसे बिछड़ कर आपसे जिन्दा रहेगे हम' सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। उनके बाद जमील साहिर, बादशाह प्रेमी, असद महताब, अर्चना तिवारी, शाद बहराइची, उस्मान काविश मासूमपुरी, अशरफ याकूबी-कोलकोता, नसीम सलेमपुरी, शहजाद जौनपुरी, फरमूद इलाहाबादी, कैश युसुफपुरी आदि ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से इस कार्यक्रम को अर्श तक पहुंचाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उ.प्र.स्टेट ग्रामीण बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव शगुन शुल्क ने फीता काट कर तथा हफीज बलियावी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर हफीज मस्तान की पुस्तक 'आगाज' का विमोचन श्री शुक्ल के साथ पत्रकार कौसर कुरैशी व शायर अजीज रब्बानी ने संयुक्त रूप से किया। क्षेत्रीय मंत्री डीएन सिंह ने मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम से अलंकृत किया। विशेष सम्मान पाने वालों में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार कौसर अली कुरैशी, अक्स वारसी, शाद बहराइची, इसरत सिद्दीकी आदि जिन्हे गोरखनाथ सिंह, एसके दूबे, ओपी सिंह ने सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अजीज गाजीपुरी ने की।
Tuesday, March 15, 2011
.....हमारा जिस्म चीरोगे तो हिन्दुस्तान निकलेगा !
मुल्क का बच्चा-बच्चा साहब-ए-ईमान निकलेगा, तलाशी लोगे तो कहीं गीता कहीं कुरान निकलेगा, हैं भारत मां हमारी हम भारत के वासी है, हमारा जिस्म चीरोगे तो हिन्दुस्तान निकलेगा..। किसी भी कार्यक्रम में संचालक की अहम भूमिका होती है। यहां भी आफाक झांसवी ने जिगर बलियावी संग इस दायित्व का न सिर्फ बखूबी निर्वहन किया बल्कि अपनी शेरो-शायरी से लोगों को झुमाया भी। उपरोक्त पंक्तियों को सुनाकर उन्होंने अन्य शायरों व कवियों को भी रोमांचित कर दिया। मौका था बज्म-ए-सुखन के संयोजकत्व में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का जिसका आयोजन सोमवार की रात बापू भवन में किया गया था। हफीज बलियावी की स्मृति में 'एक शाम अमन के नाम' से आयोजित इस कार्यक्रम को देश भर से आये शायरों व कवियों ने वाकई यादगार बना दिया।
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