Tuesday, February 21, 2012

शिव तत्व से क्षेत्र का कण-कण हो उठा आलोकित !


स्थान-गोठाई स्थित पवित्र झाड़ीमठ, दिन-सोमवार, समय-रात। मौका था पांच कुण्डीय रुद्र महायज्ञ में महाशिवरात्रि पूजन, शिव रुद्राभिषेक व गंगा महाआरती का। मठ के समीप निर्मित आध्यात्मिक मंच पर भगवावस्त्र में पंक्तिबद्ध विराजमान काशी के 108 वैदिक ब्राह्माण। महामण्डलेश्वर भवानी नंदन यति के मंच पर पहुंचते ही मानो जर्रा-जर्रा हर हर महादेव का उद्घोष करने लगा। वैदिक मंत्रों के उच्चारण से क्षेत्र का कण-कण शिव तत्व से आलोकित हो उठा। हाथों में नीर-क्षीर, धतूरा, मालाफूल लिये कतारबद्ध वैदिक विद्वानों ने सवा लाख पार्थिवेश्वर शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया। फिर शुरू हुई गंगा महाआरती। शहनाई से निकल रही भक्ति गीतों की धुन आचार्यो द्वारा अनवरत शंखनाद, डमरु से निकल रही डम-डम-डम की आवाज व घंटा-घड़ियाल की ध्वनि से लग रहा था मानो साक्षात शिव ही तांडव कर रहे हों। पाण्डाल में मौजूद करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने इस अलौकिक दीपों के स्फुटित प्रकाश पुंज को देख भक्ति सागर में जी भर के डुबकी लगाया। समूचा झाड़ीमठ दीपों की जगमगाहट से प्रकाशमान हो उठा। ऐसी खूबसूरत छटा को देख लग रहा था मानों पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आया हो। गंगा महाआरती चार प्रकार से की गयी। पहली धूप से, दूसरी गुगल से व तीसरी 51 दिपों से। रुद्राभिषेक के लिए पूरी रात को चार प्रहर में बंटा गया था। एक-एक प्रहर दो-दो घंटों का रहा। पूजन का कार्यक्रम रात 8 बजे से प्रारम्भ होकर सुबह 5 बजे तक चला। हथियाराम मठ के मठाधीश्वर, महामण्डेश्वर भवानी नंदन यति स्वयं मंच पर मौजूद रह कर वैदिक मंत्रों से पार्थिव पूजन किये। रुद्राभिषेक आचार्य बालकृष्ण व गंगा महाआरती से आचार्य रमेश दूबे के नेतृत्व में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर वाराणसी से पधारे शास्त्रीय संगीत के पारंगत कलाकार रुद्रशंकर मिश्र व उदयशंकर मिश्र ने शिव ताण्डव नृत्य प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। पार्थिवेश्वर पूजन के पश्चात प्रात:काल वृंदावन राममण्डली के कलाकारों द्वारा निकाली गयी शिव बारात की झांकी आकर्षक का केन्द्र बनी रही।

बिना गुरु के नहीं हो सकती परमात्मा की प्राप्ति

क्षेत्र के झाड़ी मठ गोठाई में आयोजित पंचकुण्डीय रूद्र महायज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति ने श्रद्धालुओं को सत्संग रूपी अमृत का पान कराते हुए कहा कि जीवात्मा को परमात्मा की आवश्यकता होती है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। बिना गुरु के परमात्मा को पाने का रास्ता मालूम नहीं हो सकता। इसलिए मनुष्य को किसी ज्ञानी गुरु के पास पहुंच कर गुरुमंत्र लेना चाहिए। कहा कि जीवन क्षणभंगुर है, जीवन की कली कब खिलेगी और कब मुरझा जाएगी यह किसी को पता नहीं है। इसलिए जो कार्य कल करना है उसको आज ही कल लेना चाहिए। भक्ति के लिए सबसे पहले बैठना, बोलना व चलना सीखना होगा। उपासना के लिए सर्वप्रथम इसकी आवश्यकता होती है। जब गुरुओं की कृपा शिष्य पर होगी तो उस पर भगवान की भी कृपा होगी। श्री यति जी ने कहा कि भगवान की समीक्षा नहीं करनी चाहिए। हल्द्वानी के महामंडलेश्वर परेषानंद जी ने कहा कि श्रद्धा व विश्वास से बड़ा कोई अन्य वस्तु नहीं है। श्रद्धा व विश्वास के साथ यदि भगवान का पूजन किया जाए तो वह अवश्य प्रसन्न हो जाएंगे।

पूजित पार्थिव शिवलिंग घाघरा में विसर्जित

पंचकुंडीय रूद्र महायज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को पूजित सवा लाख पार्थिव शिवलिंग को बिल्थरारोड के घाघरा नदी में विसर्जित कर दिया गया। अंत में भंडारे का आयोजन कर श्रद्धालुओं को महाप्रसाद का वितरण किया गया।

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