आद्य प्रतिष्ठापक व प्रवर्तक अद्वैत शिवशक्ति सम्प्रदाय ईश्वरदास ब्राह्मचारी ने कहा कि जिस परमात्मा का दर्शन तथा प्राप्ति के लिए हम अनेक प्रकार के साधन की खोज करते हैं वे परमात्मा हमेशा शरीर में ही निवास करते हैं। वेद, दर्शन, कविता बनाने का ज्ञान मात्र होने से परमात्मा के स्वरूप का साक्षात्कार नहीं हो सकता।
वह क्षेत्र के ज्ञानकुंज सीनियर सेकेण्ड्री एकेडमी वंशीबाजार में चल रहे तीन दिवसीय आत्म जागरण अभियान के तहत श्रद्धालुओं से रूबरू थे। कहा कि ईश्वर आनंद रूपी लहरों के महासागर में से किसी एक का भी आनंद लेकर परमानंद की अनुभूति के साथ ईश्वर का साक्षात्कार कर सकते हैं। कहा कि प्राइमरी कक्षा में हम जिस चार पंक्ति के प्रार्थना को गाते हैं यदि उसे परिवार के साथ सस्वर मिलकर गाया जाय तो निश्चित ही हमारे बच्चों का चरित्र स्वच्छ, उज्जवल व प्रकाश मय होगा।
Wednesday, February 15, 2012
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