Sunday, November 13, 2011

अपने अंदर की कमी देखें दूर हो जायेगी अशांति !

घर के संघर्ष को मिटाओ। घर में झूठ, कपट से प्रेम की कमी होती है और विकार पैदा होता है। निन्दा से संघर्ष और ईष्र्या से अशांति पैदा होती है। हमारा जो समय प्रभु नारायण के ध्यान में जाना चाहिए वह निन्दा, ईष्र्या झूठ-कपट में बरबाद हो जाता है। सबसे बड़ी गलती हमसे होती है कि हम दूसरों के दोष को देखते हैं। दूसरों पर नजर डालना ही बुरा है अगर डालें तो उनके गुण पर ही डालें। अपने को संवार लें। अपने तन-मन को बढि़या बना लें, यह बहुत बड़ी सेवा है। स्थानीय क्षेत्र के प्रसिद्ध मंदिर श्री अमर नाथ शिव मंदिर के प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के अन्तिम दिन जुटे भक्तों के रेले को सम्बोधित करते हुए राजन जी महराज ने उक्त बातें कहीं। बताया कि फल कितना ही कड़वा क्यों न हो जब भगवान को भोग लगा दिया जाता है तब वह फल मधुर हो जाता है। श्रीराम कथा में जब इन्द्रजीत हनुमान को लेकर रावण के दरबार में जाता है। रावण-हनुमान के संवाद के दौरान रावण क्रोधित हो जाता है और श्रीराम के दूत हनुमान को मारने की बात कहता है। इतने में विभीषण आगे कर कहते हैं दूत को मारना नहीं है तो रावण कहता है कि वानरों को सबसे प्रिय पूंछ ही होती है इसकी पूंछ में आग लगा दो। पूंछ में आग लगते ही हनुमान विराट रूप धारणकर पूरी लंका को जला देते हैं। लंका विजय के बाद श्रीराम का राज तिलक होता है। चारों तरफ खुशियां मनाई जाती हैं। इसी बीच पूरे पण्डाल में फूलों की वर्षा भक्तों द्वारा की गयी। वहीं कथा पाठक राजन जी महराज के ऊपर भी फूलों व रुपयों की वर्षा कर भक्तों ने अपनी खुशी का इजहार किया। इस अवसर पर अवध किशोर सिंह द्वारा महाराज जी को एक शाल व फूल देकर सम्मानित किया गया। पूजा कमेटी के सदस्यों द्वारा पूर्व छात्र नेता गोपाल जी सिंह, तारकेश्वर मिश्र, भोला सिंह सहित दर्जनों लोगों को श्री राम-जानकी, लक्ष्मण,हनुमान की फोटो देकर सम्मानित किया गया।

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