Wednesday, November 9, 2011
दस वर्ष पुराना है बलिया में गंगा महाआरती का इतिहास !
कार्तिक पूर्णिमा स्नान की पूर्व संध्या पर गंगा महाआरती की परम्परा महर्षि भृगु की धरती पर काशी व हरिद्वार की तर्ज पर लगभग दस वर्षो से चल रही है। वाराणसी के विद्वान पंडित व आचार्यो के सानिध्य में इस महा आरती की शुरूआत सन् 2002 में की गयी। इस नये कार्यक्रम के साथ ही नये सिरे से संत समागम भी फिर शुरू हुआ। इस महाआरती में भृगु क्षेत्र के संत बाबा बालक दास समेत अनेक विद्वानों ने भाग लिया था। धीरे-धीरे इसका विशाल स्वरूप दिया गया। उसी समय बाबा बालक दास ने नगर पालिका परिषद के तत्कालीनअध्यक्ष लक्ष्मण गुप्त को प्रेरित कर ददरी मेले के भारतेंदु मंच पर सत्संग शुरू कराने का सुझाव दिया। तब से यहां सत्संग नगर बसाये जाने लगा। इसमें साधु संतों का जमावड़ा होने लगा। वहीं मेले में आये लोग साधु संतों का दर्शन भी करते हैं। उसी समय से गंगा महाआरती की परम्परा शुरू हुई जो आज भी कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पूर्व होती है। अब इसमें वाराणसी हरिद्वार समेत अन्य स्थानों के विद्वान भाग लेने लगे हैं।
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