भारत में मानसून इस वर्ष अनिश्चितता का खेल खेल सकता है। बारिश अधिक होगी या कम इस बारे में स्थिति अप्रैल में ही स्पष्ट हो सकेगी लेकिन अब तक की जो परिस्थितियां संकेत दे रही हैं कि मौसम आगे भी अनियमित ही रहेगा।
यह जानकारी भारतीय मूल के अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक डॉ.जगदीश शुक्ल ने दी। श्री शुक्ल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर वर्ष 1989 में नई दिल्ली में अमेरिका के सहयोग से लगाए गए सुपर कंप्यूटर के पच्चीस साल पूरा होने पर आयोजित सिलवर जुबली समारोह में भाग लेने के पश्चात पैतृक गांव मिड्ढा आए थे। कहा कि आज भारत में उससे भी कई गुना बेहतर सुपर कंप्यूटर आ गए हैं जो यहां के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। मानसून के संबंध में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वर्षा कम या अधिक होगी यह सब डाटा से ही पता चलता है और अप्रैल में इसे सही-सही बताया जा सकता है कि पूरे भारत में वर्षा कैसी होगी लेकिन यह तभी संभव है जब सही डाटा मिले। उन्होंने यहीं जोड़ा भी कि अभी भी अमेरिका को भारत से समय पर सही डाटा कतिपय तकनीकी व्यवधानों के चलते नहीं मिल पा रहा है। बेमौसम अचानक ठंडक व बरसात के सवाल पर उन्होंने बताया कि इस बार अमेरिका में भी काफी हिमपात हुआ है वहीं कई देशों में गर्मी बढ़ी है जिसकी वैज्ञानिकों में चर्चा चल रही है। इसे उन्होंने ग्लोबलवार्मिग का ही दुष्परिणाम बताया। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने मिड्ढा के गांधी महाविद्यालय में स्थापित मौसम विज्ञान से संबंधित उपकरणों का भी अवलोकन किया। बताना लाजिमी है कि ये उपकरण उन्हीं की पहल पर व निगरानी में यहां स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को मानसून की स्पष्ट स्थिति के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। इससे उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी और सिंचाई के लिए बादलों की तरफ टकटकी लगाने की स्थिति से भी वे बाहर निकल सकेंगे। इसका उत्पादकता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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