Saturday, May 7, 2011
चरित्र विहीन शिक्षा का मूल्य शून्य !
शिक्षक एवं शिक्षार्थी के बीच अनन्य संबंध होता है। वहीं शिक्षा महत्वपूर्ण है जो चरित्र का निर्माण करती है। चरित्र विहीन शिक्षा का मूल्य शून्य है। यह बातें सतीश चन्द्र कालेज के रीडर डा.देवेन्द्र नाथ सिंह ने कही। वह गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की 150 वीं जयंती के अवसर पर शनिवार को चन्द्रशेखर नगर स्थित जन शिक्षण संस्थान के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो गुरुदेव की विश्व बोध की भावना थी वह आज ग्लोबल विलेज के रूप में दिखायी दे रही है। गुरुदेव द्वारा शांति निकेतन जिसमें स्वयं गुरुदेव अध्यापक थे और मात्र पांच विद्यार्थियों से शुरुआत की, आज केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में ख्यातिलब्ध है। गुरुदेव की रचना भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रगान है जो उनके साहित्यिक समृद्धि का द्योतक है। इस अवसर पर पिंकी वर्मा ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत गाया। अतिथियों ने गुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण किया। मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात रंजन ने कहा कि गुरुदेव बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। आज हर भारतवासी का दायित्व है उनके पद चिह्नों का अनुसरण करें। राजेश द्विवेदी राजेश्वर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। गोष्ठी में संजय कुमार, रमेश कश्यप, जयप्रकाश सिंह, अमृता सिंह आदि ने विचार रखे। संचालन ओमप्रकाश मिश्र ने किया।
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