चितबड़ागांव (बलिया), निप्र । भौतिकता की आंधी ने मानव समाज की ज्ञान दृष्टि को धूल धूसरित कर दिया है, यही कारण है कि किसी भी काल परिस्थिति में साधन का कार्य करने वाले अर्थ को साध्य समझने की भूल हो रही है।
उक्त विचार चितबड़ागांव के चित्तेश्वरनाथ मंदिर पर उपस्थित श्रद्धालु जन को सम्बोधित करते हुए संत हरिहरानन्द स्वामी ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कलियुग में मानव के ज्ञान चक्षु को खोलने एवं सन्मार्ग की ओर उन्मुख करने के लिए रामनाम संकीर्तन ही एक मात्र सहारा है।
संत हरिहरानन्द स्वामी की प्रेरणा से अति प्राचीन चित्तेश्वरनाथ मंदिर पर 15 माह तक चलने वाले अखण्ड रामनाम संकीर्तन यज्ञ आयोजित है। फरवरी 09 से प्रारम्भ अखण्ड रामनाम संकीर्तन यज्ञ की पूर्णाहुति मई 2010 में निश्चित की गयी है। स्वामी जी के आगमन पर प्रफुल्लित जन समुदाय ने हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए कतारबद्ध होकर संत शिरोमणि पर पुष्प वर्षा की। संकीर्तन में महिलाओं की भारी संख्या में उपस्थिति एवं लयबद्ध संकीर्तन से नगर का वातावरण देवमय हो गया है।
Tuesday, September 1, 2009
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