रसड़ा (बलिया)। लोक सभा चुनावों के महासमर में चुनाव की तारीख 16 अप्रैल काफी नजदीक होने से जहां प्रत्याशियों को प्रत्येक गांवों व गलियों में जनसम्पर्क करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है वहीं मतदाताओं की खामोशी ने उनकी नींद ही उड़ा कर रख दी है।
बताते चलें कि चुनाव की तारीख काफी नजदीक होने के कारण प्रत्याशियों को प्रत्येक दिन मतदान का दिन ही लग रहा है। इस जल्दी में प्रत्याशी व उनके समर्थक जनता के बीच टोह लेने की कवायद कर तो रहे है किन्तु मतदाता भी खामोश रह अपनी अलग रणनीति कर रहा है।
सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग की शख्तियों के चलते जनता को भी इस बार नायाब तरीके का चुनाव देखने को मिल रहा है जिसके तहत चुनाव का जो ग्लैमर होना चाहिए वह नहीं बन पा रहा है। नतीजा यह है कि परेशान प्रत्याशी अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए काफी बेताब है। इसके लिए उनके समर्थकों एवं छुटभैयों का भरोसा रह गया है। हालांकि चुनावी समर में जातिगत वोटों का धु्रवीकरण हो रहा है बावजूद इसके मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों में अजीब सी घबराहट देखी जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि अन्तिम क्षणों तक जन मन चुप रहा तो यह कहना मुश्किल होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
Wednesday, March 25, 2009
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