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एक दिन वह लड़की से बोला- यदि तुम मुझसे शादी नहीं करोगी तो मैं अपनी जान दे दूँगा। उसकी हरकतों से परेशान हो चुकी लड़की ने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लड़के से पीछा छूट जाए। वह बोली- मैं तुम्हारे प्यार की परीक्षा लेना चाहती हूँ। बोलो तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो? लड़का बोला- बताओ, मुझे अपने प्यार को साबित करने के लिए क्या करना होगा?
लड़की बोली- क्या तुम मुझे अपनी माँ का दिल लाकर दे सकते हो? लड़का सोच में पड़ गया, लेकिन उस पर तो लड़की को पाने का जुनून सवार था। वह बिना कुछ कहे वहाँ से चल दिया। लड़की खुश हो गई कि अब शायद वह उसका पीछा नहीं करेगा। उधर लड़का घर पहुँचा तो उसने देखा कि उसकी माँ सो रही है। उसने माँ की हत्या कर उसका दिल निकाल लिया और उसे कपड़े में छुपाकर लड़की के घर की तरफ चल पड़ा।
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रास्ते में अँधेरा होने के कारण ठोकर खाकर वह जमीन पर गिर पड़ा और उसकी माँ का दिल उसके हाथ से छिटककर दूर जा गिरा। गिरने पर वह कराहा। तभी माँ के दिल से आवाज आई- बेटा, तुझे चोट तो नहीं लगी? लेकिन इस बात का भी लड़के पर कोई असर नहीं हुआ और वह माँ का दिल लेकर लड़की के घर पहुँच गया। लड़के को अपनी माँ के दिल के साथ आया देख लड़की हतप्रभ रह गई।
उसे बिलकुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि एक बेटा इतना निर्दयी भी हो सकता है। उसे लड़के पर बहुत गुस्सा आया और वह बोली- जो व्यक्ति एक लड़की की खातिर अपनी माँ के निःस्वार्थ प्यार को भूलकर उसका दिल निकाल सकता है, वह किसी दूसरे से क्या प्रेम करेगा।
दोस्तो, यह कहानी भले ही आपको अविश्वसनीय लगे, लेकिन यह सही है कि दुनिया में एक माँ ही होती है, जो खुद लाख दुःख उठा ले, लेकिन अपने बच्चे की छोटी-सी तकलीफ भी सह नहीं पाती। माँ तो इंसान को खुदा से मिली अनुपम सौगात है। वह जननी है। वही सृष्टिकर्ता है, क्योंकि उसके बिना तो सृष्टि आगे बढ़ ही नहीं सकती।
माँ ने ही तो सारे अवतारों, महात्माओं, महापुरुषों, यहाँ तक कि आपको भी जन्म दिया है। एक व्यक्ति के जीवन में माँ का क्या महत्व होता है, यह उस व्यक्ति से पूछो, जिसने कभी अपनी माँ को न देखा हो। जो सुख माँ की गोद में है, वह कहीं और नहीं।
कहते हैं कि ईश्वर का हर जगह उपस्थित रहना संभव नहीं था, इसलिए उसने माँ को बनाया। आज आपका जो भी वजूद है, वह माँ के कारण ही है। और भविष्य में जो कुछ बनने की आशा रखते हैं, उस सबका सबसे पहला श्रेय आपकी माँ को ही जाएगा।
दूसरी ओर, वैसे हम सभी जानते और समझते हैं कि माँ की महिमा क्या है। लेकिन अकसर बहुत से लोग आगे बढ़ने के जुनून में अपनी माँ की भावनाओं को ही भूल जाते हैं। वह रह-रहकर अपनी माँ के दिल को चोट पहुँचाते हैं। दिल को चोट पहुँचाना भी तो दिल निकाल लेने के ही बराबर हुआ ना? यानी अनजाने में हम भी वही करते हैं जो उस नालायक लड़के ने किया।
हद तो तब हो जाती है जब माँ आपको कोई नेक सलाह दे रही हो और आप उसे यह कहकर चुप कर देते हैं कि अब जमाना बदल गया है और आप नए जमाने की बातों को नहींसमझ पाओगी। ऐसा करते समय आप उसे ही चुप कर रहे होते हैं जिसने बचपन में आपको बोलना सिखाया था।
यकीन मानिए, ऐसे लोग जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाते, क्योंकि माँ भले ही कुछ न कहे, लेकिन माँ को सताने वाले व्यक्ति को एक न एक दिन अपनी माँ के हर आँसू का हिसाब चुकता करना ही पड़ता है, क्योंकि ईश्वर उसे दुःखी होते हुए नहीं देख सकता।
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