Monday, April 27, 2009
परशुराम के विचार आज और भी प्रासंगिक: शशिकांत
बलिया। भगवान विष्णु के दशावतारों में भगवान परशुराम छठवें अवतार थे जिन्होंने ऐसे राज्य कुशासन के खिलाफ जंग छेड़ी जिसके चलते तत्कालीन सामाजिक विषमता का समूल नाश कर उन्होंने राष्ट्र एवं समाज में जर्जर सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान की। उक्त उद्गार उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी राज्य कार्यकारिणी के सदस्य शशिकांत चतुर्वेदी के है। वे परशुराम मंच के तत्वावधान में जीराबस्ती स्थित व्यायामशाला में अक्षय तृतीया के अवसर पर परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महिमा शंकर तिवारी ने कहा कि उन लोगों को सचेत होना चाहिये जो पूंजीवादी व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं। इसके पूर्व भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर बबलू तिवारी, रवीन्द्र यादव, मनोज यादव, मोती लाल यादव, कृष्णानन्द तिवारी, गोबर्द्धन राय, गणेश पाण्डेय, राजेश पाण्डेय, मंटू तिवारी, दीपक कुमार वर्मा, सुधीर तिवारी, श्रवण कुमार पाण्डेय एवं राजेश चौबे ने विचार व्यक्त किया। संचालन विनोद तिवारी ने किया। इसी क्रम में आध्यात्मिक चिंतन संस्थान के संयोजक रमाशंकर तिवारी ने आज के संदर्भ में परशुराम जी सार्थकता विषयक गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में व्याप्त जातीय विषमता को विनष्ट करने के लिए भगवान परशुराम का जीवन दर्शन इसलिए प्रासंगिक है ताकि आर्थिक साम्राज्यवाद को ढहाकर समाजवाद का परचम लहराया जाये। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष जगन्नाथ तिवारी, श्रीकांत चौबे, गुड्डू मिश्रा, ब्रज किशोर तिवारी, राजमंगल ठाकुर, सत्यप्रकाश पाठक, इन्दू भूषण ओझा आदि विचार रखे। संचालन आलोक रंजन यादव ने किया।
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