बलिया। अस्तित्व खो चुके घरेलू उद्योग धंधों ने लोगों को बेरोजगारी की राह पर खड़ा कर दिया है। उदाहरण के रूप में बीड़ी के कारोबार को लिया जा सकता है। बाजार में प्रतिबंधित सिगरेट, गुटखा व अन्य सामानों के आ जाने से बीड़ी का कारोबार लगभग समाप्त हो चुका है। इस कारोबार से जुड़े लोग मौजूदा समय में बेरोजगार होकर तमाम परेशानियों से जूझ रहे है। यही बात कागजों की थैली बनाने वाले लोगों की भी है जिनके कारोबार को पालीथिन के बढ़ते प्रचलन ने कहीं का नहीं छोड़ा है।
बता दें कि बीड़ी व कागज का थैला बनाना मुख्य रूप से गरीब तबके के लोगों का ही काम था जिससे उनकी रोजी-रोटी आसानी से चल जाती थी। इस तरह के घरेलू धंधों पर आधुनिकता की मार कुछ इस कदर पड़ी कि गरीब तबके के लोग भुखमरी की कगार पर खुद को पा रहे है। पहले बीड़ी का धंधा जोरों पर चलता था। हिन्दू मुस्लिम व प्रत्येक वर्ग के गरीब लोग इस धंधा को पूरी लगन व निष्ठा के साथ करते थे। यह धंधा बड़ी सहजता के साथ हो जाता था इसलिए इस धंधा में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी सपिरवार हिस्सा लेती थीं। बीड़ी मुख्यत: तेन्दू के पत्ती से निर्मित होता है। लोग तेन्दू का पत्ता लाते थे और सपरिवार इस पत्ती में तम्बाकू भरने के पश्चात सेकाई करके बीड़ी तैयार कर देते थे। पुरुष वर्ग इसे बाजार में ले जाकर बेचने का कार्य करते थे। लोगों की मानें तो इस धंधा में लागत, मेहनत दोनों कम पड़ती थीं और फायदा ज्यादा होता था लेकिन आधुनिक मादक पदार्थ सिगरेट, तम्बाकू व विभिन्न कम्पनियों के गुटखों के बाजार में आ जाने के कारण लोगों के होठों से बीड़ी कोसो दूर चली गयी। परिणाम स्वरूप बीड़ी व्यवसाय को वर्षों से जीवकोपार्जन का जरिया बनाये गरीब तबके के लोग बेरोजगारी का शिकार होने के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच गये। इसी क्रम में पहले गरीब लोग कागज का थैला बनाकर उसे बाजार में बेंच देते थे। इससे मिले धन से उनके घरों के चूल्हे जला करते थे लेकिन पालीथिन की थैली के प्रयोग ने इनके धंधे को भी मंदा कर दिया। पालीथिन पर्यावरण को प्रदूषित करने में अहम भूमिका अदा कर रही है लेकिन जानकारी के बावजूद इसका प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। यह सच है कि सरकार द्वारा पालीथिन की थैली पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है लेकिन धरातल पर यह फरमान कितना असर दिखा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। सुतरी व पटुआ की रस्सी बनाने के धंधे पर भी ग्रहण लग गया है।
Sunday, November 22, 2009
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This is a nice ! !
ReplyDeleteघरेलू धंधा समाप्त होने से जटिल हुई बेरोजगारी की समस्या this is a biggest problem for world wide, So I think that we all should sort out some solutions for this problem.
Thanks,
Pravin Gupta
Garwar, Ballia UP