रसड़ा (बलिया), निप्र । राम नाम के स्मरण मात्र से मानव का मन पवित्र हो जाता है तथा उसके पाप नष्ट हो जाते हैं। कलियुग में राम नाम के जप से ही मुक्ति मिल सकती।
उक्त उद्गार मिर्जापुर से पधारी सुश्री ऋचा मिश्रा ने बुधवार को स्थानीय श्रीनाथ मठ पर आयोजित श्रीरामचरित नवाह परायण एवं संत सम्मेलन में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पण्डाल को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने भगवान राम जानकी विवाह प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि भगवान राम श्रद्धा तथा मां जानकी भक्ति की प्रतिमूर्ति हैं। इन दोनों का जब तक संगम नहीं होगा तब तकभगवान राम जानकी के दर्शन नहीं हो सकते। जनकपुर में इन्हीं दोनों शक्तियों के प्रादुर्भाव के कारण भगवान शंकर के धनुष को तोड़ा जा सका तथा भगवान राम जानकी विवाह सम्पन्न हो सका। कहा कि श्री रामचरितमानस ग्रन्थ नहीं बल्कि मानवीय जीवन के लिए एक महा वरदान है और इस ग्रन्थ के राम जानकी विवाह प्रसंग से परिवार में समृद्धि एवं शक्ति स्वमेव प्राप्त हो जाती है।
इसी क्रम में संत कबीर नगर से आये स्वामी वैराग्यानन्द परमहंस ने कहा कि परमात्मा का स्वरूप संसार के कण-कण में व्याप्त होता है किन्तु उनके दर्शन तभी होते हैं जब हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करते है। अन्त में श्रीनाथ मठ के महन्त स्वामी आनन्द गिरि महराज ने आभार व्यक्त किया।
Friday, November 20, 2009
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