Sunday, April 18, 2010

ऊर्जा जल वृक्ष संरक्षण को अहमियत दिया लोकगीतों ने: जौहर !

सुखपुरा (बलिया)। लोकगीतों में ऊर्जा, जल व वृक्ष के संरक्षण को बराबर महत्व दिया गया है। आवश्यकता इस बात की है कि हम उसकी कीमत को समझें और उसे अपने जीवन में उतारें। उक्त विचार उर्दू व भोजपुरी के मशहूर विद्वान जौहर साफियावादी के हैं। वह संतयती नाथ मंदिर परिसर में 'पर्यावरण के बनावे में भोजपुरी लोकगीतन की भूमिका' विषयक गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। कहा कि लोकगीत पतनोन्मुख समाज को आदर्शोमुख करते हैं। इनमें ही हमारे जीवन की झांकी बहुरूपता से समाहित व आभावित होती है। गोष्ठी को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के भोजपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. रवीन्द्र शाहाबादी, डा. सदानंद शाही, मन्नू राय, विश्वनाथ शर्मा, चौधरी कन्हैया सिंह ने सम्बोधित किया। इसके पूर्व भोजपुरी के मशहूर कवि बृज मोहन प्रसाद अनारी के नव प्रकाशित भोजपुरी काव्य 'सितुही में मोती' का विमोचन आगन्तुक साहित्यकारों द्वारा किया गया। इस अवसर पर आधा दर्जन साहित्यकारों, कवियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर गोपाल जी चितेरा, भोला प्रसाद आग्नेय, मेजर दिनेश सिंह, अखिलेश सिंह, गणेश कुमार पाठक, काशीनाथ सिंह, उमाशंकर सिंह, महेन्द्र प्रताप शुक्ल, केदारनाथ सिंह, सूर्य नारायण सिंह आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता महावीर प्रसाद व संचालन हरेराम सिंह ने किया।

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