बलिया । यह सच है कि प्रशासन हादसों के बाद ही सचेत होता है। इसके पूर्व केवल चेतावनी दी जाती है। नियमों का पालन करने की भी बात जोर-शोर से उठती है लेकिन बहुत कम ही ऐसे लोग हैं जो इस पर अमल करते हैं। कुछ इसी तरह का फरमान दो माह पूर्व विद्यालयों में चलने वाले वाहनों के संदर्भ में जारी किया गया था। इस क्रम में प्रशासन ने दस साल पुराने वाहनों को स्कूलों में चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इन वाहनों को बदलने के लिए विद्यालयों को चार माह का समय दिया गया था। इसमें से दो माह का समय देखते ही देखते निकल गया। शेष दो माह में क्या स्थिति बनती है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन कुछ छोटे विद्यालयों में चल रहे आटो व मिनी बसों की दशा देखकर हर किसी को आश्चर्य होता है। वह छोटे वाहन जो सड़क पर सवारी लेकर नहीं चल सकते, वह मासूमों को क्षमता से अधिक बैठा कर बेधड़क चल रहे हैं। वह भी उस वक्त जब नगर की सड़कों का बुरा हाल है। प्रशासन अगर इस तरह के छोटे वाहनों पर नकेल नहीं कसा तो आने वाले समय में बड़े हादसों से इंकार नहीं किया जा सकता है।
बताते चलें कि इस तरह के वाहन दर्जनों की संख्या में हैं जो स्कूल खुलने के समय ही बाहर निकलते हैं। पुराने खराब पड़े इन वाहनों को मालिक किसी विद्यालय से बातचीत कर कम दामों में लगा देता है। कई बार तो इस तरह के वाहन रास्ते में ही खराब हो जाते हैं। गैस से चलने वाली पुरानी मारुति कार या अन्य वाहनों का भी उपयोग छोटे स्तर पर चलने वाले स्कूलों में हो रहा है।
पकड़े जाने पर जरूर होगी कार्रवाई: एआरटीओ !
बलिया: एआरटीओ शिवशंकर त्रिपाठी ने कहा कि विद्यालयों में पुराने आटो चलाने या गैस से चलने वाले वाहनों को विद्यालय में चलने की अनुमति नहीं दी गयी है। इस तरह के वाहनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है।
Monday, July 5, 2010
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