Monday, March 24, 2014

तब फिरंगियों के दांत खट्टे किए थे 'बाघ' ने

सन् 1942 में बहादुरी से फिरंगियों के दांत खट्टे करने वाले शहीद राजकुमार बाघ की शहादत दिवस पर जनपद वासियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। रविवार को जिला कारागार स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा उनकी शहादत से प्रेरणा लें नए समाज के स्थापना का संकल्प लिया।
जिला कारागार स्थित राजकुमार बाघ की प्रतिमा स्थल पर सुबह पहुंचे लोगों ने उनकी शहादत को याद किया और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान शहीद के पुत्र वंशीधर को माला पहनाकर सम्मानित भी किया गया। शहीद के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि राजकुमार को बाघ की उपाधि जवाहर लाल नेहरू ने बलिया आगमन के दौरान दी थी। वक्ताओं ने कहा कि आवश्यकता है कि राजकुमार बाघ की शहादत का सम्मान करते हुए एक स्वच्छ समाज की स्थापना की जाए। बाघ को माल्यार्पण करने वालों में विधायक गोरख पासवान, वीरेंद्र पाठक, संजय उपाध्याय, मिठाईलाल भारती, डा.मदन राम, रामेश्वर पासवान, इंदल राम, महफूज आलम, अमर नाथ पासवान आदि मौजूद थे। इसी क्रम में गोठहुली के ग्राम प्रधान शंकर पासवान उर्फ फौदार ने भी बाघ की प्रतिमा पर माला पहनाई तथा उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की। चौकीदार एसोसिएशन के बैनर तले चौकीदारों ने भी बाघ की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान चौकीदार संघ के जिला अध्यक्ष शारदानंद पासवान, मनोज पासवान, रंजन भारतीय, हरेराम पासवान, राजकिशोर पासवान, शिवपुजन पासवान आदि मौजूद थे।

Tuesday, March 4, 2014

ऐसा कार्य करें कि उदाहरण बन जाएं

व्यक्ति चाहे जिस क्षेत्र में कार्य करता है उसे कुछ ऐसा करना चाहिए ताकि वह समाज के लिए उदाहरण बन जाए।
यह बातें भारतीय मूल के अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक पद्मश्री डा.जगदीश शुक्ल ने कहीं। वह मंगलवार को किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय रकसा में आयोजित अपने सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में जिस तरह तापमान बढ़ रहा है, यह चिंता का विषय है। हर पांच साल पर एक कमेटी गठित होती है और इस पर कार्य करती है कि इस पर कैसे नियंत्रण किया जाए।
इसी क्रम में विद्यालय के प्राचार्य डा.अशोक कुमार सिंह ने कहा कि मौसम वैज्ञानिक श्री शुक्ल ऐसे व्यक्ति है जिन्हे 2007 में क्लाइमेंट चेंज समिति में कार्य करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। समारोह को महेद्र शुक्ल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर डा.राजीव सिंह ने उन्हे अंगवस्त्रम से सम्मानित किया। अध्यक्षता खालाक खां चौधरी व संचालन नित्यानंद तिवारी ने किया। आभार विद्यालय के प्रबंधक लल्लन सिंह ने व्यक्त किया।

भारत में मानसून को लेकर रहेगी अनिश्चितता

भारत में मानसून इस वर्ष अनिश्चितता का खेल खेल सकता है। बारिश अधिक होगी या कम इस बारे में स्थिति अप्रैल में ही स्पष्ट हो सकेगी लेकिन अब तक की जो परिस्थितियां संकेत दे रही हैं कि मौसम आगे भी अनियमित ही रहेगा।
यह जानकारी भारतीय मूल के अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक डॉ.जगदीश शुक्ल ने दी। श्री शुक्ल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर वर्ष 1989 में नई दिल्ली में अमेरिका के सहयोग से लगाए गए सुपर कंप्यूटर के पच्चीस साल पूरा होने पर आयोजित सिलवर जुबली समारोह में भाग लेने के पश्चात पैतृक गांव मिड्ढा आए थे। कहा कि आज भारत में उससे भी कई गुना बेहतर सुपर कंप्यूटर आ गए हैं जो यहां के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। मानसून के संबंध में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वर्षा कम या अधिक होगी यह सब डाटा से ही पता चलता है और अप्रैल में इसे सही-सही बताया जा सकता है कि पूरे भारत में वर्षा कैसी होगी लेकिन यह तभी संभव है जब सही डाटा मिले। उन्होंने यहीं जोड़ा भी कि अभी भी अमेरिका को भारत से समय पर सही डाटा कतिपय तकनीकी व्यवधानों के चलते नहीं मिल पा रहा है। बेमौसम अचानक ठंडक व बरसात के सवाल पर उन्होंने बताया कि इस बार अमेरिका में भी काफी हिमपात हुआ है वहीं कई देशों में गर्मी बढ़ी है जिसकी वैज्ञानिकों में चर्चा चल रही है। इसे उन्होंने ग्लोबलवार्मिग का ही दुष्परिणाम बताया। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने मिड्ढा के गांधी महाविद्यालय में स्थापित मौसम विज्ञान से संबंधित उपकरणों का भी अवलोकन किया। बताना लाजिमी है कि ये उपकरण उन्हीं की पहल पर व निगरानी में यहां स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को मानसून की स्पष्ट स्थिति के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। इससे उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी और सिंचाई के लिए बादलों की तरफ टकटकी लगाने की स्थिति से भी वे बाहर निकल सकेंगे। इसका उत्पादकता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

जनसंख्या नियोजन के लिए हो जन जागरण

भारतीय मूल के अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ.जगदीश शुक्ल ने सोमवार को अपने पैतृक गांव व आस-पास के गांवों के आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन का सच जाना। साथ ही बखूबी महसूस किया कि यह स्थिति अशिक्षा के चलते ही पेश आ रही है। मिड्ढा गांव की एक महिला के बारे में जानकारी मिलते ही कि उसके पांच बच्चे हैं और छठवें बच्चे को जनने वाली है, श्री शुक्ल की पेशानी पर बल पड़े और जनसंख्या नियोजन के लिए उन्होंने लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री शुक्ल उस समय हैरत में पड़ गए जब 23 वर्षीय उस महिला ने इन बच्चों को भगवान की देन बताते हुए 11 बच्चे जनने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने इस तरह की स्थिति को समाज के लिए घातक बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा इस तरह की कई योजनाओं का क्रियान्वयन करने के बाद भी ये हाल समझ से परे है। इस दौरान उन्हें यह भी बताया गया कि उक्त महिला मड़हे में अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रही है। श्री शुक्ल ने परिवारीजनों व स्वयं सेवी संस्थाओं को उक्त परिवार की मदद के लिए आगे आने को कहा।