Saturday, January 29, 2011

लंदन तक गूंजी थी मंगल पाण्डेय के गोलियों की आवाज!!

उन्नीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में जिला मुख्यालय से आठ किमी पूरब गंगा के सुरम्य तट पर बसे नगवा गांव ने अपनी विविध विशेषताओं से मण्डित अपनी उर्वरा माटी के कारण 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम शहीद मंगल पाण्डेय की जन्म भूमि होने का गौरव प्राप्त किया है। मंगल पाण्डेय का जन्म नगवा में 30 जनवरी 1831 को सुदिष्ट पाण्डेय एवं जानकी देवी के पुत्र के रूप में हुआ। 29 मार्च 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत करने वाले मंगल पाण्डेय द्वारा चार अंग्रेज अफसरों को मार देने से अंग्रेजों के कान खड़े हो गये। बैरकपुर छावनी में अंग्रेजी सिपाहियों की संख्या बढ़ा दी गयी। मंगल पाण्डेय की गोली की गूंज लंदन तक जा पहुंची। सैनिक अदालत में उन पर मुकदमा चला। अन्तत: उन्हें आठ अप्रैल 1857 को बैरकपुर छावनी में तड़के फांसी दे दी गयी। नगवा के बुजुर्गो का कहना है कि मंगल पाण्डेय की बगावत के बाद अंग्रेजी सरकार ने नगवा के लोगों को प्रताड़ित किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात नगवावासियों को काफी कुछ उम्मीदें थीं कि अपनी सरकार मंगल पाण्डेय को राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित करेगी। कम से कम भारत के लोकसभा परिसर में इनकी आदमकद मूर्ति की स्थापना अवश्य होगी। गांव भी शहीद ग्राम के रूप में उत्कर्ष को पहुंचेगा लेकिन ऐसा कुछ अब तक नहीं हो सका है। यह खेद की बात है। पश्चिम बंगाल सरकार ने शहीद मंगल पाण्डेय का स्मारक विधान सभा परिसर, बैरकपुर छावनी में, बैरकपुर के पास धोबी घाट पर आवक्ष प्रतिमा की स्थापना किया है। बलिया नगर के कदम चौराहे पर मंगल पाण्डेय की प्रतिमा, इनके पैतृक गांव नगवा में शहीद मंगल पाण्डेय के नाम पर सन् 1962 से इण्टर कालेज 2005 से राजकीय महिला महाविद्यालय एवं विशाल पुस्तकालय सरकारी सहयोग से अवश्य स्थापित है फिर भी आजादी का यह महानायक अब भी राष्ट्रीय सम्मान हेतु तरस रहा है। जयंती पर एक उम्मीद कि जिम्मेदारों की तंद्रा टूटे।

हाफ मैराथन दौड़ आज, मंगल महोत्सव भी

अमर शहीद मंगल पाण्डेय की जयंती पर 30 जनवरी को विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। प्रात: साढ़े सात बजे हाफ मैराथन दौड़ की शुरुआत नगवा से होगी जिसका समापन चितबड़ागांव मोड़ पर होगा। आयोजक शेखर सामाजिक एवं शैक्षणिक समिति के प्रबंधक सुधांशु शेखर त्रिपाठी के अनुसार इस दौड़ में देश के नामीगिरामी धावक प्रतिभाग करेगे। उद्घाटन अपर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी करेगे जबकि समापन व पुरस्कार वितरण जमुना राम स्नातकोत्तर महाविद्यालय चितबड़ागांव में जिला पंचायत अध्यक्ष रामधीर सिंह द्वारा किया जायेगा। इसी क्रम में शहीद मंगल पाण्डेय इण्टर कालेज नगवा के प्रबंधक बृकेश कुमार पाठक ने बताया कि इस मौके पर मंगल महोत्सव का भी आयोजन शहीद मंगल पाण्डेय स्मारक नगवा में पूर्वाह्न नौ बजे से होगा। महोत्सव के मुख्य अतिथि उप्र के लघु उद्योग मंत्री चन्द्रदेव राम यादव होंगे। इण्टर कालेज परिसर में ज्योतिबा फूले बालिका साइकिल मदद योजना के अंतर्गत 100 बालिकाओं को साइकिल दी जाएगी। साथ ही हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छ: छात्र-छात्राओं, उत्कृष्ट सेवा करने वाले दो अध्यापकों व सेनानियों को सम्मानित किया जाएगा।

इन्हीं इमारतों में पला बढ़ा है सिनेमा !!

आजादी के समय की अनमोल यादें भुलाये नहीं भूलतीं। तब नगर में दो ही सिनेमा हॉल थे। शंकर टाकीज गड़हा मुहल्ले में था तो मीना पैलेस चौक में। ये दोनों टूरिंग टाकीज कहलाते थे। इन्हीं इमारतों में पला- बढ़ा सिनेमा। उस दौरान शंकर टाकीज में उड़न खटोला, शबनम और मीना पैलेस में शंकर बाबू, सुहाग रात, आरती व मधुमती जैसी फिल्मों ने अच्छा व्यवसाय किया था। इन दोनों सिनेमा हालों के बंद हो जाने से संबंधित इमारतों के स्वरूप मौजूदा समय में बदल जरूर गये है लेकिन उन दिनों की यादें आज भी बड़े-बुजुर्गो के जेहन में कैद है।कहना गलत न होगा कि फिल्मों की रंगीनियत को परदे पर उतारकर लोगों को मनोरंजन की दुनिया में ले जाने का काम बड़ी शिद्दत व योजनाबद्ध तरीके से किया रतसर के लेफ्टिनेंट जनरल शारदानंद सिंह के द्वितीय पुत्र प्रकाशानंद ने। लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उन्होंने बलिया में प्रकाश टाकीज के नाम से सिनेमा हाल खोलने का निर्णय किया। निर्माण कार्य वर्ष 1958 में प्रारम्भ हुआ और एक साल बाद ही छ: माह के परमिशन पर यह टूरिंग टाकिज के रूप में चालू हो गया। टिकटों का दाम रखा गया साढ़े दस आना व साढ़े पांच आना। फिल्म लगी 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' जिसके अभिनेता थे सदाबहार हीरो धर्मेद्र। इसके बाद रेशमी रुमाल, जंगली, बीस साल बाद, काजल, कोहरा, दो बदन, बूंद जो बन गयी मोती, दिल ही तो है, छलिया, दिल ने फिर याद किया आदि फिल्मों ने काफी धूम मचायी थी। फिरोज खान अभिनीत फिल्म आग के प्रदर्शन के बाद यह सिनेमा हॉल कतिपय कारणों से बंद कर दिया गया। इसके बाद एक-एक कर शीशमहल, कृष्णा टाकिज, विजय थियेटर, पूर्वाचल, नारायणी, छाया चित्र मंदिर, सुन्दरम, पनामा सिनेमा हॉल अस्तित्व में आये लेकिन केबिल व डिश की मार, मनोरंजन कर विभाग की बेतुकी नीति व दूर होते दर्शकों की वजह से एक-एक कर छाया चित्र मंदिर, पनामा व सुन्दरम बंद हो गये। सूत्रों के अनुसार गड़वार रोड में भी सम्राट के नाम से एक सिनेमा हॉल बनाया जा रहा था, निर्माण कार्य भी काफी हद तक हो गया था लेकिन कुछ दिनों बाद उस पर विराम लग गया। एंग्री यंग मैन के रूप में बिग बी अभिताभ बच्चन के अवतरित होने के बाद सिनेमा की दुनिया ही बदल गयी। उन दिनों दर्शकों खास कर छात्रों का जज्बा देखते ही बनता था। उनकी कोशिश रहती थी कि अमुक फिल्म का पहला ही शो देखेंगे। पहला टिकट हासिल करने के लिए उनमें होड़ लग जाती थी। इस वजह से खिड़कियों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ती थी। उस दौरान मारपीट भी जमकर होती थी। हथियार होता था 'बेल्ट'। पहला टिकट हासिल कर लेने वाला शख्स खुद को सिकंदर-ए-आजम से कम नहीं समझता था। उस समय शोले से लेकर उनकी करीब-करीब सभी फिल्में खूब चली थीं। सिनेमा हालों के सामने 'हाउस फुल' का लगा बोर्ड पारिवारिक लोगों के बीच जहां तू-तू, मैं-मैं का सबब बन जाता था वहीं ब्लैक में टिकट बेचने वालों के चेहरे पर बिखेर देता था मुस्कान। बड़ा अजीब दृश्य होता था जब सिनेमा प्रेमी ब्लैक में टिकट बेचने वालों के इर्द-गिर्द गणेश परिक्रमा किया करते थे। परन्तु टीवी, डिश टीवी, सीडी, विडियो के आगमन ने सिनेमा हाल के सुनहरे दिनों पर पानी फेर दिया।

दूसरा चरण हालीवुड : बीसवीं सदी के अंतिम दशक के शुरुआती दौर तक महानगरों के लोग हालीवुड के हाई थ्रिल, एक्शन व सस्पेंस से लबरेज सिनेमा के बारे में जान गये थे लेकिन यहां के लोगों तक यह पहुंचा काफी बाद में। इस क्रम में आस्कर अवार्डी फिल्म टाइटेनिक व जुरासिक पार्क ने यहां भी काफी धूम मचायी थी।

तीसरा चरण भोजपुरी : सच कहे तो बंद होते सिनेमा हॉलों को भोजपुरी फिल्मों ने ही सहारा दिया। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कृष्णा टाकिज में नदिया के पार ने बाबी व गीत की ही अपार सफलता की तरह सिल्वर जुबली मनायी थी। इसी क्रम में गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो, दंगल, विदेशिया, गंगा किनारे मोरा गांव, निरहुआ चलल ससुराल, ससुरा बड़ा पइसा वाला आदि फिल्मों ने अच्छा बिजनेस दिया था।

बहुत कुछ बदला: प्रकाश सिनेमा हाल के संस्थापक प्रकाशानंद सिंह के पुत्र प्रसिद्ध रंगकर्मी विवेकानंद सिंह बताते है कि तब के दर्शक शालीनता से सिनेमा देखते थे। बिजली आपूर्ति में व्यवधान के चलते अगर दर्शक सिनेमा नहीं देख पाते थे तो उनके टिकट का पैसा वापस कर दिया जाता था। श्री सिंह के अनुसार यहां फिल्मों का प्रदर्शन 'अवाक युग' में भी होता था। बाद में 'सवाक' फिल्मों का आनंद दर्शकों ने उठाना शुरू कर दिया। रंगीन फिल्मों के आने के बाद सब कुछ बदलता चला गया। अब तो तफरीह या विवशता में ही लोग सिनेमा हालों की तरफ रुख करते है।

Sunday, January 23, 2011

मन से पढ़ें, मान बढ़ायें गांव का !!

शिक्षा क्षेत्र पन्दह अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय पन्दह (पूर्वी टोला) के प्रांगण में शुक्रवार को ड्रेस वितरण समारोह का आयोजन किया। समारोह में प्रधानाध्यापिका श्रीमती सुमन राय की देख रेख में ग्राम प्रधान जयप्रकाश राय ने विद्यालय की 60 छात्राओं को ड्रेस एवं बेल्ट प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा को विकास का प्रतीक बताया तथा विद्यालय में अनुशासन और पठन-पाठन के बेहतर वातावरण के सृजन पर बल दिया। प्रधान ने छात्र-छत्राओं से मन लगाकर पढ़ने की अपील किया जिससे वह अच्छे पदों पर पहुंच कर गांव और क्षेत्र का नाम रोशन कर सकें। इस अवसर पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि आलोक राय, रीना राय, रंजन कुमार, ज्ञान प्रकाश राय सहित अभिभावक एवं अन्य नागरिक मौजूद थे।

जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा खेल से !!

स्थानीय वीर लोरिक स्टेडियम में युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित जनपद स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सीडीओ रामअरज मौर्य ने रविवार को झण्डारोहरण व मार्च पास्ट की सलामी लेकर किया। खिलाड़ियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि खेलों से जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए खेलों को विशेष महत्व दिया जाना चाहिये। शासन का प्रयास है कि खेल प्रतिभाओं को चिह्नित कर उन्हे अपेक्षित प्लेटफार्म दिया जाय। इस दिशा में खेल विभाग, नेहरू युवा केन्द्र व युवा कल्याण विभाग सार्थक प्रयास कर रहे है। मुख्य अतिथि का स्वागत जिला युवा कल्याण अधिकारी डीडी सिंह ने किया। सीडीओ ने प्रतिभागियों को अनुशासित, मर्यादित व समस्त खेल नियमों का पालन करते हुए सम्पूर्ण खेल भावना के साथ प्रतिभाग करने की शपथ दिलायी। उद्घाटन अवसर पर जिला पंचायत सदस्य एचएन पाल, युवा कल्याण परिषद के सदस्य संतोष श्रीवास्तव, मण्डल प्रभारी बसपा मो. शमीम, जिला क्रीड़ा अधिकारी राजेश सोनकर, सहायक प्रशिक्षक देवी प्रसाद, क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी शीतलनाथ पाण्डेय, रमेश यादव, कपिलदेव, केदार व व्यायाम प्रशिक्षक कुन्दन सिंह आदि मौजूद रहे। समापन 24 जनवरी को स्थानीय स्टेडियम में होगा।

आल इण्डिया क्रिकेट के लिए टीम घोषित !

पश्चिम चम्पारण के सिकटा में आयोजित आल इण्डिया अंजुम ट्राफी क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए बलिया क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा अपनी टीम घोषित कर दी गयी है। चयनित टीम 26 जनवरी को अपना पहला मैच पटना के साथ खेलेगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष व छात्र शक्ति इन्फ्रा कंस्ट्रक्शन के प्रबंध निदेशक उमाशंकर सिंह ने बताया कि टीम में अजीत कुमार सिंह (कप्तान), संतोष तिवारी, अमरेद्र तिवारी, अनुपम सिंह, रविकांत सिंह, चन्द्रभान प्रताप, विष्णुकांत ओझा, जितेंद्र यादव, इब्राहिम खां, इजरायल खां, अभिनंदन सिंह, आशुतोष सिंह प्रथम, आशुतोष द्वितीय को शामिल किया गया है। सुरक्षित खिलाड़ियों में राहुल सिंह, रोहित सिंह, आकाश पाण्डेय को रखा गया है। राहुल सिंह टीम के मैनेजर होंगे। यह टीम 25 जनवरी को गंतव्य के लिए रवाना होगी।

Thursday, January 20, 2011

असहायों की सेवा से बड़ा कोई पुण्य काम नहीं !!!!!!!

गरीबों व असहायों की सेवा व सहयोग से बड़ा कोई पुण्य काम नहीं है। यह काम नि:स्वार्थ भाव से करना चाहिये।

यह बातें वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व एमएलसी सुदामा सिंह ने कही। वह बुधवार को क्षेत्र के बघुड़ी व झोरीडीह गांवों में पार्टी कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने झोरीडीह व बघुड़ी सहित रुद्रवार, डूहां-बिहरा तथा मुईयां गांवों के 250 गरीबों, विधवा, विकलांग व असहायों को ठंड से बचाव हेतु अपनी तरफ से कम्बल प्रदान किया। आरोप लगाया कि शासन द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं में लूट-खसोट के कारण ही गरीबी हटाओ का नारा मूर्तरूप नहीं पा रहा है। कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वह भाजपा की नीतियों का व्यापक प्रचार कर लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास करें ताकि 2012 के विधान सभा चुनाव में दल को अच्छी सफलता मिल सके। डा.बृजनाथ वर्मा, अशोक गुप्त, रामाश्रय प्रधान, अमित साहनी, अरविन्द राय, जवाहर मौर्य, बाबूचन कन्नौजिया आदि ने भी विचार रखा। अध्यक्षता भुवाल सिंह व संचालन राजेन्द्र सिंह ने किया।

बलिया में सड़क हादसा, आधा दर्जन लोगों की मौत !!!!!

पहाड़पुर क्षेत्र में गुरुवार की रात लगभग साढ़े नौ बजे ट्रक की जबर्दस्त टक्कर में ट्रैक्टर ट्राली सवार आधा दर्जन लोगों ने दम तोड़ दिया जबकि तीन दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हो गये। घायलों में डेढ़ दर्जन की हालत गंभीर है। सभी बलिया में शव प्रवाहित कर वापस आ रहे थे।

जानकारी के अनुसार रसड़ा के सौरूपुर निवासी लगभग पचास लोग एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने ट्रैक्टर ट्राली से बलिया गये थे। वहां से लौटते समय पहाड़पुर पहुंचने ही पीछे से एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसमें टक्कर मार दी जिससे ट्रैक्टर के परखच्चे उड़ गये और ट्रक एक पेड़ से टकराकर पास स्थित नाली में पलट गया। दुर्घटना के बाद वहां कोहराम मच गया। लोगों की चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग बड़ी संख्या में वहां जमा हो गये और राहत कार्य में जुट गये। तब तक पांच लोग दम तोड़ चुके थे। इस बीच सूचना पाकर पुलिस भी वहां पहुंच गयी और ग्रामीणों के सहयोग से घायलों को रसड़ा स्थित अस्पताल पहुंचाया। इस बीच रास्ते में ही एक और व्यक्ति की मौत हो गयी। समाचार दिये जाने तक मृतकों में किसी की शिनाख्त नहीं हो पायी थी। घायलों में डेढ़ दर्जन की हालत गंभीर बतायी जा रही है।ं उन्हें बलिया व वाराणसी रेफर किया जा रहा था। मौके पर जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक समेत कई थानों की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी पहुंच गये थे।

Thursday, January 13, 2011

राष्ट्रीय चेस प्रतियोगिता जीतकर बढ़ाया मान!!

कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, तबीयत से एक पत्थर तो उछालों यारों। इसे चरितार्थ कर दिखाया है बागी धरती के सपूत मोहम्मद खालिद ने चण्डीगढ़ में हाल ही में सम्पन्न हुई 17 वीं राष्ट्रीय दृष्टिबाधित खेलकूद प्रतियोगिता के अंतर्गत शतरंज का खिताबी मुकाबला जीत कर। साथ ही नसीहत भी दी कि इंसान में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो विकलांगता कतई आड़े नहीं आती। इस प्रतियोगिता में उन्होंने अपने ही सगे भाई मोहम्मद मिसबाहुल को ट्राईबेकर के आधार पर पराजित कर बलिया के लिए इतिहास रचा।

बता दें कि चितबड़ागांव नगर पंचायत के वार्ड नम्बर 12 आजाद नगर निवासी अब्दुल मन्नान के पुत्र मो.खालिद दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए द्वितीय वर्ष व मो.मिसबाहुल जेएनयू में एमए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। इनके अलावा तीसरा भाई भी दृष्टि बाधित है। शारीरिक रूप से स्वस्थ चौथा भाई अपने पिता के साथ घड़ी की दुकान चलाता है। परिवार में कोई भी शतरंज का खिलाड़ी नहीं लेकिन बचपन में यार-दोस्तों के मुंह से ग्रैण्ड मास्टर विश्वनाथन आनंद का नाम सुन कर इनमें भी शतरंज का खिलाड़ी बनने का जुनून चढ़ा लेकिन आज इस मुकाम पर पहुंच कर भी इन्हे चैन नहीं। गुरुवार को बातचीत के दौरान गांव आये खालिद ने बताया कि दोनों का सपना है अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला जीतना और इसके लिए वे प्रयासरत है।

दृष्टिहीनों के लिए होता विशेष चेस बोर्ड

खालिद के अनुसार दिल्ली में ही स्थित एक संस्थान में दृष्टिहीनों को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जाता है जहां से उन दानों भाइयों ने प्रशिक्षण लिया। बताया कि हम लोगों के लिए एक विशेष चेस बोर्ड रहता है। छूकर ही हम पहचान लेते है कि कौन सी गोटी आगे बढ़ी है और उसके मुताबिक उन्हे क्या चाल चलनी है।

Wednesday, January 12, 2011

कोर्ट---- एसओ के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश!!

आदेश की अवहेलना पर सीजेएम पृथ्वीपाल सिंह यादव की अदालत ने एसओ सिकन्दरपुर के विरुद्ध समुचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर आवश्यक विधिक कार्रवाई का आदेश दिया है तथा इसकी कापी पुलिस अधीक्षक को भी प्रेषित कराया है। अदालती सूत्रों के अनुसार सिकन्दरपुर थाना क्षेत्र के जलालीपुर निवासी तिलेश्वर शर्मा के पुत्र संजय पर उसी गांव के शशि वगैरह चार-पांच माह पूर्व प्राण घातक हमला किये थे जिसमें उसको काफी चोटे आयी थीं। इस मामले में वादी की तहरीर पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बाद वादी ने पुलिस अधीक्षक के जरिए रजिस्ट्री सूचना देकर अदालत का शरण लिया जिसमें अदालत ने एफआईआर करने का आदेश पारित किया जिसमें एसओ सिकन्दरपुर द्वारा हीलाहवाली पर अदालत ने एसओ के विरुद्ध उक्त आदेश पारित किया।

Tuesday, January 11, 2011

कूटरचित आईडी प्रूफ से निकाल लिया 30 हजार !

आपका कोई सम्बंधी विदेश में नौकरी कर रहा है और वह पैसा भेज रहा हो तो सर्तक हो जाइये कहीं उस पैसे को कोई दूसरा व्यक्ति न उतार ले। ऐसी ही एक घटना नगरा कस्बे में घटी है। आबूधाबी (दुबई) से भेजे गये 30 हजार रुपये को किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा कूटरचित आईडी प्रूफ से उतार लिये जाने से हड़कम्प मच गया है। इस सम्बन्ध में नगरा थाने में तहरीर दे दी गयी है। जानकारी के अनुसार आबूधाबी में नौकरी कर रहे नगरा थाना क्षेत्र के इन्दासों ग्राम निवासी रामनक्षत्र चौहान ने अपने रिश्तेदार पकड़ी थाना क्षेत्र के सहुलाई (मुहम्मदपुर) निवासी अमरनाथ चौहान के नाम से 30 हजार रुपये भेजा था। इसकी सूचना पाकर उप डाकघर नगरा पहुंचे अमरनाथ ने पैसा निकलाने के लिए फार्म भरा। सम्बन्धित बाबू द्वारा कहा गया कि अभी इन्टरनेट फेल है एक घंटे बाद बताया गया कि आपका पैसा उतारा जा चुका है। यह सुनकर अमरनाथ के होश उड़ गये। उन्होंने इसकी जानकारी दुबई में अपने रिश्तेदार को दी। साथ ही थाने में तहरीर भी। बताते चलें कि विदेश से भेजे गये पैसे को उतारने के लिए आईडी पू्रफ व गुप्त कोड (एमटीसीएन) नम्बर की आवश्यकता पड़ती है। यह गुप्त कोड कहां से लीक हुआ इसी को केन्द्र बिन्दु मानकर पुलिस जांच में जुट गयी है। पुलिस सम्बन्धित लिपिक से भी पूछताछ कर रही है।

Monday, January 10, 2011

लहलहा रहे हैं सैकड़ों पेड़ बन !!



बैरिया (बलिया): सामान्यतया पुलिस का नाम आते ही आंखों के सामने जो अक्स उभरता है उससे कुछ पुलिस वालों को अच्छा इंसान मानने को मन तैयार नहीं होता किन्तु रामेश्वर पांडेय जैसे थानाध्यक्ष की कार्यशैली व इंसानियत के प्रति स्वस्थ सोच व व्यवहार देख आम आदमी यह कहने को मजबूर हो जाता है कि पुलिस में भी बहुत अच्छे इंसान है। वे मानवता व मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु तमाम बाधाओं को दर किनार करते हुए समाजहित में कुछ करने की जज्बा रखते है। जी, हां हम बात कर रहे हैं बैरिया में कुछ वर्ष पूर्व रह चुके थानाध्यक्ष रामेश्वर पांडेय की। वह जहां भी जिस थाने में चार्ज पर रह गए वहां थाना परिसर व थाने के सामने सड़क पर सैकड़ों छायादार पेड़ लगवा कर परिसर को हरा-भरा करने के साथ ही जन सहयोग से कुछ ऐसे निर्माण कार्य करवाए जिसका लाभ हमेशा अधीनस्थों व आम लोगों को मिलता रहा है। उदाहरण के लिए बैरिया थाना परिसर व उसके सामने बैरिया-सुरेमनपुर मार्ग पर लगवाए गए दर्जनों छायादार पेड़ व परिसर में बनवायी गयी पानी टंकी, जिसके पानी से इन दिनों भी बड़ी ठाट से पुलिस वाले नहाते है, कपड़े धोते हैं। राहगीर भी इस पानी टंकी से अपना प्यास बुझाते हैं। बैरिया ही नहीं जनपद के हल्दी, नगरा व सुखपुरा के अलावा जौनपुर जनपद के बक्सा थाना परिसर सहित करीब दो दर्जन थानों पर रामेश्वर पांडेय द्वारा अब तक सैकड़ों की संख्या में छायादार पेड़ लगवाने के अलावा कुछ न कुछ ऐसा निर्माण कार्य करवाया गया है, जिसका लाभ विभागीय लोगों के साथ-साथ आम आदमी को भी मिल रहा है।

सुलह से निबटायें तीन हजार मामले

गौरतलब है कि न्याय के प्रबल पक्षधर श्री पांडेय अधिकांश जटिल मामलों का निस्तारण सुलह-समझौते से कराते रहे है। इन दिनों भदोही जनपद में तैनात श्री पांडेय के मोबाइल नम्बर 9415836688 पर रविवार को हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि ठीक से तो याद नहीं किन्तु अपने अब तक की नौकरी में कम से कम तीन हजार ऐसे बड़े मामलों को अपने प्रयास से सुलह कराया, जिनके जारी रहने से समाज व परिवार में अव्यवस्था बढ़ती। वह बताते हैं कि डंडे के बल पर कानून व्यवस्था कायम नहीं रखी जा सकती, इसके लिए जन सहयोग चाहिए और पुलिस वालों को थाना स्तर पर जन सहयोग तभी मिलेगा, जब वे आम आदमी के साथ आत्मीय तरीके से पेश आएंगे। मूलत: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के मूल निवासी रामेश्वर पांडेय द्वारा अपने गांव में विशाल संकट मोचन मंदिर के निर्माण के अलावा वहां के सड़कों के पटरियों पर करीब 300 छायादार पौधे लगाए गए जो अब पेड़ बन गए है। रामेश्वर पांडेय कहते है कि मानव जीवन भगवान का अनमोल उपहार है, इस जीवन में हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए कि लोगों का भला करे, भला न हो तो कोई बात नहीं किसी का बुरा न करे।

प्राइमरी पाठशाला तक नहीं मयस्सर !!



नगर से चार किमी पश्चिम रेवती-सहतवार मार्ग से सटे आसमानठोठा गांव की जनता लगता ही नहीं कि आजाद भारत में निवास करती है। आजादी के 63 वर्ष बाद भी बुनियादी सुविधाओं को हासिल करने के लिए इन्हे किसी मसीहा का इंतजार है। शिक्षा, खड़ंजा, नाली, विद्युत, पेयजल आदि की समस्या यहां नासूर का रूप ले चुकी है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस ग्राम सभा में पंचायत भवन की कौन कहे एक अदद प्राइमरी पाठशाला तक नहीं है।

बता दें कि इस ग्राम सभा की कुल आबादी 3200 व मतदाताओं की संख्या लगभग 1568 है। इस ग्राम सभा में दलित, नट, चौहान, यादव, बंसफोर, ब्राह्माण व अन्य बिरादरी के लोग सौहार्द पूर्वक रहते हैं। आसमान ठोठा ग्राम सभा में आसमानठोठा व मोहन ठोठा पूरवा (गांव) सम्मिलित हैं। हरेन्द्र नट बताते हैं कि इस ग्राम सभा में आधी से अधिक आबादी गरीब दलितों (बंसफोर, नट) की है। इनमें 200 परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहे हैं। उनके पास बीपीएल कार्ड तक नहीं है। राजेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि आसमानठोठा की चौहान व नट बस्ती विद्युतीकरण से अब भी वंचित है जबकि शेष ग्राम सभा में आधा अधूरा ही विद्युतीकरण हुआ है। ओमप्रकाश यादव का कहना है कि इस ग्राम सभा में एक एकड़ पांच डिस्मिल जमीन विद्यालय के नाम पर परती (खाली) है जिस पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है फिर भी प्राथमिक विद्यालय खोलने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। ओमप्रकाश कुंवर ने कहा कि इस ग्राम सभा में आंगनबाड़ी केन्द्र व पंचायत भवन भी नहीं है। नट बस्ती में जाने के लिए कच्चा रास्ता भी नहीं है। जल निकासी की समस्या अलग। बेचू यादव का कहना है कि मोहन ठोठा आसमानठोठा का पुरवा है। लोक सभा व विधान सभा चुनाव के समय पचरूखा गांव से अटैच होने के कारण यहां के लोगों को निर्वाचन कार्ड पचरूखा के नाम से मिलता है जिसके कारण बैंक का खाता खोलवाने से लेकर अन्य सरकारी कार्यो को कराने में काफी अड़चन आती है।

सबके सहयोग से बदलेगी गांव की तस्वीर : ग्राम प्रधान

आसमानठोठा ग्राम सभा की नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान राधा नट का कहना है कि हमारा गांव विकास के नाम पर शून्य है। ग्रामवासियों से सहयोग लेकर जनप्रतिनिधियों व प्रशासन के माध्यम से ग्राम सभा में खड़ंजा, नाली, प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, मनरेगा व अन्य विकास का कार्य प्राथमिकता से कराऊंगी। गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले परिवारों को बीपीएल कार्ड बनाने का पूरा-पूरा प्रयास करूंगी।