Wednesday, November 25, 2009

चित्रकला प्रतियोगिता में बलिया के तीन प्रतिभागी अव्वल !

बलिया । राजकीय इण्टर कालेज बलिया के छात्रों ने इलाहाबाद में हुए प्रदेश स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में प्रथम व द्वितीय तथा जूनियर वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त कर जनपद को गौरवान्वित किया। इस बार भी प्रदेश स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता में कला शिक्षक डा.इफ्तेखार खां के शिष्यों का डंका बजा और उन्होंने लगातार सातवीं बार प्रथम स्थान पर कब्जा जमा लिया। भारत सरकार द्वारा संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इलाहाबाद संग्रहालय में 14 से 20 नवम्बर तक नेहरू जन्म दिवस के उपलक्ष्य में स्कूली बच्चों के लिए निबन्ध, चित्रकला, लेखन आदि विविध कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इसमें 15 नवम्बर को होने वाले चित्रकला प्रतियोगिता में राजकीय इण्टर कालेज बलिया के छात्रों ने डा.इफ्तखार खां के कुशल निर्देशन एवं नेतृत्व में प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा, जयप्रकाश नारायण का पोट्रेट अथवा संग्रहालय को सामने से देखकर सादृश्य पेंटिंग या किसी स्कल्पचर की लाइफ स्टडी बनाना था जिसमें सीनियर वर्ग में बलिया के बच्चे मोहम्मद एवं इरशाद अहमद अंसारी ने संग्रहालय का सादृश्य पेंटिंग एवं जूनियर वर्ग में सेराजुन्नबी ने जवाहर लाल नेहरू का पोट्रेट बनाकर जूनियर वर्ग में प्रथम पुरस्कार पाया वहीं सीनियर वर्ग में मोहम्मद उमर ने प्रथम एवं इरशाद अहमद अंसारी कक्षा 11 पुत्र इश्तियाक अहमद अंसारी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन 22 नवम्बर को इलाहाबाद संग्रहालय में किया गया जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त किये छात्रों को गौतम बुद्ध की बड़ी प्रतिमा एवं द्वितीय स्थान विजेता को गणेश की प्रतिमा व पुरस्कार के रूप में उत्तर मध्य सांस्कृतिक निदेशक के कर कमलों द्वारा स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर संग्रहालय के निदेशक एके शर्मा एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

पुरस्कार प्राप्त कर वापसी पर कला शिक्षक के साथ विजेता छात्रों को विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं जिलाविद्यालय निरीक्षक छोटेलाल ने कला शिक्षक डा. इफ्तेखार खां की लगन कुशल निर्देशन की सराहना करते हुए कहा कि इनके कला के प्रति समर्पण के कारण जनपद, प्रदेश एवं राष्ट्र स्तर पर निरंतर बलिया का नाम रोशन हो रहा है।

Monday, November 23, 2009

अगले बरस फिर मिलेंगे, कहते विदा हुए भारतेन्दु मंच से !

बलिया। ददरी मेले के ऐतिहासिक भारतेन्दु कला मंच पर रविवार की रात आयोजकों ने रंगारंग कार्यक्रम के बीच अगले साल फिर मिलने का वादा कर सबसे विदा लिया। विदाई की इस बेला को यादगार करने के लिए आयोजित ददरी महोत्सव में फनकारों ने अपनी कला का जलवा इस कदर बिखेरा कि उमड़ी भीड़ पर सर्दी का तनिक भी असर नहीं दिखा तथा पांडाल पूरी रात खचाखच भरा रहा।

भारतेन्दु कला मंच पर ददरी मेले के समापन समारोह पर आमंत्रित कलाकारों का अभिनन्दन कर अंगवस्त्रम भेंट किया किया गया। औपचारिक समापन समारोह के पश्चात उस ऐतिहासिक मंच को मां वीणावादिनी के उपासकों को सौंप दिया गया। संचालन का अवसर मिला अद्वितीय क्षमता के धनी विजय प्रताप सिंह को। उन्होंने सबसे पहले सबके मन मस्तिष्क को संगीतमयी बनाया और आवाज दिया भोजपुरी के सम्राट व भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित कलाकार भरत शर्मा व्यास को। शर्मा ने कार्यक्रम की शुरूआत अरे पूजवा के वेरिया ये मइया, बझिनिया कही पुकारे हो सुनाकर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। उसके पश्चात दिल्ली बम्बे कलकत्ता चाहे रहि मंसूरी में, पढि़-लिखिह कवनो भाषा पतिया भोजपुरिये में सुनाकर सबको भोजपुरिया होने का एहसास कराया। अश्लीलता पर चोट करते हुए भोजपुरी गीतों से अश्लीलता मिटावल जाई सुनाया। उसके पश्चात आराधना सिंह ने नौकरी करे के रहे त काहे कइल शदिया.. सुनाया। सुर संग्राम में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके जुड़वा भाई चन्दन व नन्दन राय ने देवी गीत ये माई हो चमचम चमके मंदिरवा, शेर रखवार बड़ुए ना व नृत्यांगना हीना के साथ काहे खिसियाइल बाडू जान लेबू का हो.. सुनाकर खूब तालियां बटोरी। नवोदित अंजली भारद्वाज ने भी अपनी कला प्रस्तुत की। उसके बाद रुचि भारद्वाज, वर्षा तिवारी, राकेश तिवारी, प्रियंका पायल व सुशील राय ने भी अपनी प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों ने सराहा। राकेश तिवारी के गीत पापा के संगे मौसी.. पियवा के भावे कलमतिया नचनिया.. आदि को बड़ी वाहवाही मिली। अंत में गोपाल राय ने अपने नये पुराने गीतों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। बम्बई तोहरा बाप के ना ह की प्रस्तुति करते हुए उन्होंने पूरे पाण्डाल को रोमांचित कर दिया। उसके पूर्व जोनल कोआर्डिनेटर छट्ठूं राम ने फीता काटकर ददरी महोत्सव का आगाज किया। इस अवसर पर बांसडीह के विधायक शिवशंकर चौहान, डा. इन्दल राम सहित सभी सभासद उपस्थित रहे।

अंजली ने भर दी अंजुरी

बलिया: ददरी महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन करने आयी नवोदित कलाकार अंजली भारद्वाज ने पूरे ददरी महोत्सव को लूट लिया। नन्हीं जान ने जब-जब लागे ला नीक लागेला बड़ा नीक लागेला, मइया के बिन्दिया लिलार बड़ा नीक लागेला पर सुर साधा तो पूरा पाण्डाल ताली बजाने लगा और जब-जब वह गाई पाण्डाल गूंजता ही रहा।

Sunday, November 22, 2009

घरेलू धंधा समाप्त होने से जटिल हुई बेरोजगारी की समस्या !

बलिया। अस्तित्व खो चुके घरेलू उद्योग धंधों ने लोगों को बेरोजगारी की राह पर खड़ा कर दिया है। उदाहरण के रूप में बीड़ी के कारोबार को लिया जा सकता है। बाजार में प्रतिबंधित सिगरेट, गुटखा व अन्य सामानों के आ जाने से बीड़ी का कारोबार लगभग समाप्त हो चुका है। इस कारोबार से जुड़े लोग मौजूदा समय में बेरोजगार होकर तमाम परेशानियों से जूझ रहे है। यही बात कागजों की थैली बनाने वाले लोगों की भी है जिनके कारोबार को पालीथिन के बढ़ते प्रचलन ने कहीं का नहीं छोड़ा है।

बता दें कि बीड़ी व कागज का थैला बनाना मुख्य रूप से गरीब तबके के लोगों का ही काम था जिससे उनकी रोजी-रोटी आसानी से चल जाती थी। इस तरह के घरेलू धंधों पर आधुनिकता की मार कुछ इस कदर पड़ी कि गरीब तबके के लोग भुखमरी की कगार पर खुद को पा रहे है। पहले बीड़ी का धंधा जोरों पर चलता था। हिन्दू मुस्लिम व प्रत्येक वर्ग के गरीब लोग इस धंधा को पूरी लगन व निष्ठा के साथ करते थे। यह धंधा बड़ी सहजता के साथ हो जाता था इसलिए इस धंधा में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी सपिरवार हिस्सा लेती थीं। बीड़ी मुख्यत: तेन्दू के पत्ती से निर्मित होता है। लोग तेन्दू का पत्ता लाते थे और सपरिवार इस पत्ती में तम्बाकू भरने के पश्चात सेकाई करके बीड़ी तैयार कर देते थे। पुरुष वर्ग इसे बाजार में ले जाकर बेचने का कार्य करते थे। लोगों की मानें तो इस धंधा में लागत, मेहनत दोनों कम पड़ती थीं और फायदा ज्यादा होता था लेकिन आधुनिक मादक पदार्थ सिगरेट, तम्बाकू व विभिन्न कम्पनियों के गुटखों के बाजार में आ जाने के कारण लोगों के होठों से बीड़ी कोसो दूर चली गयी। परिणाम स्वरूप बीड़ी व्यवसाय को वर्षों से जीवकोपार्जन का जरिया बनाये गरीब तबके के लोग बेरोजगारी का शिकार होने के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच गये। इसी क्रम में पहले गरीब लोग कागज का थैला बनाकर उसे बाजार में बेंच देते थे। इससे मिले धन से उनके घरों के चूल्हे जला करते थे लेकिन पालीथिन की थैली के प्रयोग ने इनके धंधे को भी मंदा कर दिया। पालीथिन पर्यावरण को प्रदूषित करने में अहम भूमिका अदा कर रही है लेकिन जानकारी के बावजूद इसका प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। यह सच है कि सरकार द्वारा पालीथिन की थैली पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है लेकिन धरातल पर यह फरमान कितना असर दिखा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। सुतरी व पटुआ की रस्सी बनाने के धंधे पर भी ग्रहण लग गया है।

Friday, November 20, 2009

बकरीद: 35 हजार का बकरा बना कौतूहल !

बलिया । इदुलअजहा (बकरीद) की तैयारियां जोरो पर है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक बकरों की खरीद फरोख्त में तेजी आ गयी है। शुक्रवार को शहर क्षेत्र के विशुनीपुर मस्जिद के समीप प्रत्येक वर्ष की भाति बकरों का एक छोटा मेला लगा जहां ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के व्यापारियों ने जमकर खरीद फरोख्त की। मेले में 3 हजार से लेकर 35 हजार तक के बकरा थे। कीमती बकरा मेला में कौतूहल का विषय बना था। बता दें कि मुस्लिम समुदाय के लोग इदुज्जुहा के दिन बकरे की बलि देने की परम्परा को बडे़ ही हर्ष उल्लास से मनाते हैं। इसी दिन वे अल्लाह के नाम पर बकरे का जबह करते है। बकरा व्यापारी आजम खां के अनुसार बकरीद की तैयारी ईद के बाद से ही प्रारम्भ हो जाती है। लोग अपने बकरे को कच्चा जौ, चना की भूसी, चोकर, चना, कैल्शियम आदि खिलाकर हिस्ट-पुष्ट बनाते हैं।

राम नाम केस्मरण मात्र से मानव होता पाप मुक्त : ऋचा मिश्रा !

रसड़ा (बलिया), निप्र । राम नाम के स्मरण मात्र से मानव का मन पवित्र हो जाता है तथा उसके पाप नष्ट हो जाते हैं। कलियुग में राम नाम के जप से ही मुक्ति मिल सकती।

उक्त उद्गार मिर्जापुर से पधारी सुश्री ऋचा मिश्रा ने बुधवार को स्थानीय श्रीनाथ मठ पर आयोजित श्रीरामचरित नवाह परायण एवं संत सम्मेलन में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पण्डाल को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने भगवान राम जानकी विवाह प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि भगवान राम श्रद्धा तथा मां जानकी भक्ति की प्रतिमूर्ति हैं। इन दोनों का जब तक संगम नहीं होगा तब तकभगवान राम जानकी के दर्शन नहीं हो सकते। जनकपुर में इन्हीं दोनों शक्तियों के प्रादुर्भाव के कारण भगवान शंकर के धनुष को तोड़ा जा सका तथा भगवान राम जानकी विवाह सम्पन्न हो सका। कहा कि श्री रामचरितमानस ग्रन्थ नहीं बल्कि मानवीय जीवन के लिए एक महा वरदान है और इस ग्रन्थ के राम जानकी विवाह प्रसंग से परिवार में समृद्धि एवं शक्ति स्वमेव प्राप्त हो जाती है।

इसी क्रम में संत कबीर नगर से आये स्वामी वैराग्यानन्द परमहंस ने कहा कि परमात्मा का स्वरूप संसार के कण-कण में व्याप्त होता है किन्तु उनके दर्शन तभी होते हैं जब हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करते है। अन्त में श्रीनाथ मठ के महन्त स्वामी आनन्द गिरि महराज ने आभार व्यक्त किया।

Tuesday, November 17, 2009

प्रभु स्मरण से चित्त रहता प्रसन्न !

प्रभु का सदैव स्मरण करने मात्र से चित्त तो आनन्दित होता ही है, प्रभु से साक्षात्कार होने का भी अवसर प्राप्त होता है।

उक्त विचार कथा वाचक पं. शीतल प्रकाश जी के हैं। वह संत यती नाथ मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन भक्तों को सम्बोधित कर रहे थे। कहा कि भजन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद पर विजय मिलेगी। इससे मानव का कल्याण निश्चित है। कहा कि महापुरुषों की गाथाओं को सुनना व पढ़ना भी मानव के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।

इस अवसर पर भोला सिंह, छठ्ठूं प्रसाद, राम नारायण सिंह, नन्द जी सिंह, पिण्टू पाण्डेय, गुड्डंन सिंह, तारकेश्वर ठाकुर, अशोक पटेल आदि मौजूद रहे।

बचपन जीवन का स्वर्णिम अवसर : पीसी श्रीवास्तव !

बाल्यावस्था जीवन का स्वर्णिम अवसर होता है और बच्चे अपने भाग्य के स्वयं निर्माता होते हैं इसलिए सभी बच्चों को कठिन परिश्रम, लगन एवं निष्ठा के साथ अपने सम्पूर्ण समय को अध्ययन एवं पाठ्य सहगामी क्रियाओं में लगाना चाहिए ताकि उनका सर्वागीण विकास हो सके और वे देश के सुयोग्य नागरिक बन सकें।

देवस्थली विद्यापीठ चिलकहर में सोमवार को आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में विद्यालय के प्रधानाचार्य पीसी श्रीवास्तव ने उक्त उद्गार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभिन्न परीक्षाओं एवं प्रतियोगिताओं में विशिष्ट स्थान प्राप्त करने वाले विद्यालय के लगभग तीन सौ छात्र, छात्राओं को स्मृति चिह्न एवं अन्य पुरस्कार देकर प्रधानाचार्य ने उन्हे पुरस्कृत किया।

अपने सम्बोधन में प्रधानाचार्य ने कहा कि परीक्षा में सर्वोत्तम अंक एवं उच्चतम श्रेणी पाने वाले बच्चों ने इस संस्था के शैक्षिक गुणवत्ता व सम्मान को बढ़ाया है। इस अवसर पर सर्वप्रथम हाईस्कूल परीक्षा में जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त अदनान कफील को प्रधानाचार्य ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया जबकि करिश्मा सिंह कक्षा 11, चन्दन सिंह कक्षा 10, प्रशांत सिंह कक्षा 9, आयुषी तिवारी कक्षा 8 को उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने पर प्रतिभा सम्मान पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त कला विज्ञान तथा कम्प्यूटर की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्ति के लिए लगभग 250 बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन उप प्रधानाचार्य इन्दु त्रिपाठी ने किया।

दिखावे से हो रहा धर्म का ह्रास : विजय कौशल !

सिकंदरपुर (बलिया) निप्र । संत विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि धर्म स्थलों, प्रवचन एवं गंगा में धर्म का दर्शन मिलता है। दिखावा तथा अन्य कारणों से आज धर्म का ह्रास हो रहा है जिसके चलते परिवारों व समाज में नाना प्रकार की बुराईयां फैल रही है। मंगल भवन यात्रा के तहत यहां आपे कौशल जी महाराज स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में पूर्व एमएलसी सुदामा सिंह के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं के बीच रामकथा का प्रवचन कर रहे थे। कहा कि परिवारों में धार्मिकता का जैसा रसमय सुगन्ध होना चाहिए आज वह अनेक कारणों से नहीं है। घर में पूजा-पाठ व बुराई साथ-साथ होने से दुर्गन्ध का वातावरण बना हुआ है। रामायण व गीता का नियमित पाठ करने तथा ध्यानमग्न हो पूजा करने की श्रद्धालुओं को सलाह दी ताकि बुराइयों का नाश हो सके। माता-पिता के चरण को तीर्थ बताया तथा कहा कि व्यवहार, खान-पान, चलना, सोना, जागना, स्वभाव व प्रभाव बदलने से स्वर्ग ही स्वर्ग है। अंत में नशाखोरी, झूठ फरेब व अन्य बुराइयों से बचने तथा पूरे परिवार के साथ बैठकर रात का भोजन करने की सलाह दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में भुवाल सिंह, डा.उमेशचंद, अरविंद राय, अनिल कुमार बर्नवाल, राजेंद्र सिंह, बाबूचन कन्नौजिया, संजय पासवान, संतोष सोनी आदि का भरपूर सहयोग रहा।

Monday, November 16, 2009

भोजपुरी गायकों ने रात भर बिखेरा जलवा !

मझौवां (बलिया)। बजरंग दल सेवा समिति मझौवां के तत्वावधान में चल रहे मानस सम्मेलन के समापन में महावीर चबूतरा के पास रविवार की रात भोजपुरी गायक कमलवास कुंवर व अरविंद सिंह अभियंता के बीच शानदार मुकाबला हुआ। शुभारम्भ सपा नेता रामधीर सिंह ने फीता काट कर किया और गायकों व कलाकारों को पुरस्कार भी प्रदान किया। गायकों ने भोजपुरी भक्ति गीतों पर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

उक्त अवसर पर रणवीर सिंह प्रधान, अनिल सिंह पूर्व प्रधान, धर्मवीर सिंह, सुनील सिंह ललन सिंह, महेश्वर सिंह, मुन्ना सिंह, विमलेश सिंह, मस्तान पाठक, सच्चिदानंद सिंह, विक्की, पवन, लोजपा जिलाध्यक्ष विनोद सिंह सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। संचालन डा. वृजबली सिंह व आभार समिति के अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह बब्लू ने व्यक्त किया।

Sunday, November 15, 2009

प्रतिभाएं नहीं होतीं किसी सम्मान की मोहताज : राजेश !

बलिया। समाज सेवी राजेश कुमार गुप्त ने कहा है कि प्रतिभाएं विभिन्न बाधाओं को दर किनार करते हुए निखर ही जाती है और ऐसी प्रतिभाएं किसी के सम्मान की मोहताज नहीं होतीं।

स्थानीय बाला जी यशोदा कुंवर अर्जुन विद्यापीठ में शनिवार को आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री गुप्त ने उपर्युक्त उद्गार व्यक्त किया। इस अवसर पर कलवार जायसवाल सम्मेलन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त छात्राओं को सम्मानित किया गया। राजेश ने कहा कि पुरस्कार सृजनशीलता को बढ़ाती है और अपनी प्रतिभा के बल पर ही छात्र-छात्राएं राष्ट्र का गौरव बढ़ाने में सफल होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामचन्द्र जायसवाल ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बच्चों में कर्तव्य भावनाओं के प्रकटीकरण का अवसर प्राप्त होता है। श्री जायसवाल ने उत्कृष्ट स्थान प्राप्त कुमारी चांदनी, दिव्या, ज्ञानेन्द्र, बिट्टू, सोनी सहित तीस छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। प्रबंधक अर्जुन जी ने विद्यालय की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप उन्हे सम्मानित किया।

इस अवसर पर डा. विवेकानन्द, गनेश जी, सुरेश जी, दिलीप तथा राजेन्द्र सभासद उपस्थित रहे। विद्यालय व्यवस्थापक बलराम जी ने अतिथियों का अभिवादन किया।

अब नहीं चलेगा खेल में खेल : अयोध्या पाल !

बलिया। प्रदेश के खेल मंत्री अयोध्या पाल ने कहा कि खेल में 'खेल' करने वालों को करारा सबक सिखाना होगा। सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया जाय। इसके लिए ग्रामीण परिवेश में भी स्टेडियम का निर्माण कराने की योजना बनायी गयी है।

मुख्य अतिथि श्री पाल यहां आदर्श इण्टर कालेज में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती-दंगल के समापन अवसर पर मौजूद थे। इस शिक्षण संस्थान के बगल में सत्तर लाख की लागत से बनने वाले आदर्श ग्रामीण स्टेडियम का शिलान्यास करने के उपरांत उन्होंने बलिया के वीर लोरिक स्टेडियम में भी सात करोड़ की लागत से तरण ताल बनाने की घोषणा करते हुए पायका योजनांतर्गत राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता भाग-तीन के तहत बलिया में तीरंदाजी, कबड्डी, वालीबाल प्रतियोगिताएं आयोजित किये जाने की जानकारी दी और कहा कि इसका कार्यक्रम बहुत जल्द निर्धारित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बलिया में नेशनल कैम्प का भी संचालन किया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक भगवान पाठक की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए इस आयोजन के दौरान आयोजक छट्ठूं राम ने क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आरपी सिंह, उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव सुरेश उपाध्याय, लखनऊ कुश्ती संघ के सचिव राजेश कुमार सिंह तथा क्रीड़ा अधिकारी बलिया राजेश सोनकर की मौजूदगी में साफा बांध कर सम्मानित किया। बसपा नेता एचएन पाल व प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश्वर गिरि द्वारा मुकुट पहनाकर उन्हें सम्मानित किया गया। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. पीके सिंह द्वारा उन्हे स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर विधायक सुभाष यादव, नगर पालिका अध्यक्ष संजय उपाध्याय, पूर्व विधायक सुधीर राय, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती भारती सिंह, संजय भाई, जगदीश रावत, महफूज आलम, मुक्तेश्वर सिंह, तेज नारायण सिंह, ब्लाक प्रमुख अक्षय लाल यादव, ओम प्रकाश भारती, दीनानाथ भास्कर, फैयाज अहमद, हुकुम सिंह आदि की मंच पर गरिमा मय मौजूदगी उल्लेखनीय रही।

Friday, November 13, 2009

ददरी मेले की रौनक चरम पर, मुख्य चौक जगमगाया !

बलिया। ददरी मेले के ऐतिहासिक मीना बाजार की रौनक अपनी पराकष्ठा पर है। मेले के अंदर प्रतिदिन हजारों की भीड़ देखने को मिल रही है इससे दुकानदारों के चेहरे खिलखिला उठे हैं। मेले का मुख्य चौक रात में जगमगा उठता है। नगरपालिका परिषद हर वर्ष लगने वाले इस मेले को आकर्षक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता है। मेले के अंदर दुकानों की आकर्षक सजावट की गयी है। सर्कस, झूला, मौत का कुंआ व वैष्णो देवी का मंदिर आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इस मेले में प्रतिदिन ग्रामीण इलाके के काफी संख्या में लोग उतर रहे हैं जिससे मेले की रौनक काफी बढ़ जा रही है। इस मेले में सबसे अधिक खरीददारी महिलाएं करती हैं।

अपनी दैनिक जीवन की वस्तुओं के साथ ही शादी विवाह के सामानों की खरीददारी भी की जा रही है। मेला देखने के लिए गैर प्रांतों से भी लोग आते हैं।

Monday, November 9, 2009

ज्ञान भक्ति वैराग्य के संतुलन से मोक्ष प्राप्ति: अतुल कृष्ण !

बलिया। राम कथा से जीवन में ज्ञान भक्ति और वैराग्य का उदय होता है और तीनों के बीच संतुलन भी स्थापित होता है यह कथा मनुष्य को मोक्ष के द्वार की चाफी प्रदान करती है क्योंकि मानव जीवन ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ देन है जिसके लिए देवता भी लालायित रहते हैं। उक्त उद्गार श्रीराम कथा आयोजन समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के प्रथम दिवस अपने प्रवचन में पूज्य संत मानस मर्मज्ञ अतुल कृष्ण भारद्वाज ने व्यक्त किया। रामलीला मैदान के विशाल पण्डाल में आयोजित विद्या भारतीय सेवा न्यास को समर्पित कथा प्रारम्भ करते हुए अपने सम्मोहनकारी सुमधुर वाणी से श्री भारद्वाज ने राम कथा की विशेषताओं एवं प्रभावों का वर्णन किया। भगवान शिव द्वारा राम कथामृत पान के लिए कैलाश पर्वत से तमिलनाडु के कुम्भ कोड़म में अगत्स्य मुनि के आश्रम में जाने का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अनन्य ज्ञानी कुम्भज ऋषि की पात्रता को देखकर भगवान शंकर ने उन्हे दक्षिणा स्वरूप भक्ति प्रदान किया। इसके पूर्व श्री भारद्वाज के नगर में प्रवेश करते ही टाउनहाल के मैदान से एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गयी जिसमें हजारों स्त्री-पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए। कलश यात्रा में विभिन्न विद्यालयों के छात्रों ने बैण्ड बाजों के साथ भाग लिया। शोभा यात्रा में लक्ष्मण सिंह, गणेश शंकर गुप्त, राम गोपाल अग्रवाल, अनिल कुमार सिंह, विजय बहादुर सिंह, जय प्रकाश नारायण सिंह, डा. विनोद कुमार सिंह, संजय शुक्ल, शिवकुमार जी जैसे प्रमुख लोग भी शामिल थे।

हाइटेक हुआ ददरी मेला, टीबी, मोबाइल-कम्प्यूटर के लगे स्टाल !

बलिया। महायज्ञिक परम्परा से शुरू हुआ महर्षि भृगु की तपोभूमि पर ऐतिहासिक मेला ददरी अब जमाने की रंगत के साथ हाइटेक हो गया है। जहां पहले संत महात्माओं के समागम के साथ ही वेद की ऋचाओं और देव प्रस्तुतियों के महामंत्रों से पूरा माहौल गुंजायमान रहता था वहां अब इनके साथ ही मोबाइल फोन, टीबी सेट और कम्प्यूटर, कम्प्यूटर शिक्षा के स्टालों के माध्यम से गांव की जनता को भी इनके महत्व समझाये जा रहे है। वहीं इनकी उपयोगिता और इससे होने वाले नफा-नुकसान के बारे में भी विस्तृत जानकारियां मुहैया कराकर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है।

महर्षि भृगु के परम शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर लगने वाला ऐतिहासिक ददरी मेला वैसे तो ऋषि मुनियों के नाम से जाना जाता है लेकिन बदलते परिवेश में मेले के स्वरूप में भी बदलाव होने लगा है। मेले में परम्परागत सामानों की बिक्री के साथ ही आधुनिक युग के भी माल मेले में दिखायी पड़ने लगे हैं। यहां तक कि कम्प्यूटर युग के सभी सामान भी मेले के अंदर इस वर्ष से दिखायी पड़ रहे हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन से हर वर्ष लगने वाले इस मेले में अधिकांश जनता ग्रामीण इलाकों से आती है। इस मेले की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसमें दो तरह की जनता आती है। सुबह दस बजे से शाम 6 बजे तक ग्रामीण क्षेत्र की जनता मेले में आती है। शाम से शहर व आस-पास के लोग मेले के अंदर आते है। इसमें हर तरह के सामान व खाने-पीने की वस्तु मिलती है जिसका लोग आनंद लेते है। इसके साथ ही सर्कस, झूले, नौटंकी जैसे कार्यक्रम मनमोहक होते है। बदलते परिवेश में मेले में कम्प्यूटर व मोबाइल ने भी जगह बना लिया है। कम्प्यूटर के बारे में दुकानों पर लोगों को पम्पलेट के माध्यम से उसका महत्व व उपयोगिता के बारे में बताया जा रहा है। दुकानदार संजीव कुमार ने बताया कि मेले में इसका काफी फायदा होता है। एक तो गांव से आयी जनता को पम्पलेट के माध्यम से जानकारी दी जाती है। दूसरा आसानी से प्रचार-प्रसार हो जाता है। मोबाइल फोन के दुकानदार प्रभुनाथ ने बताया कि मेले में इस काउण्टर पर लोग आकर जानकारी प्राप्त करने के साथ ही खरीदारी भी कर रहे है। इनको मोबाइल फोन से होने वाले फायदे के बारे में बताया जाता है। हम सबका उद्देश्य गांव स्तर पर आधुनिक चीजों को पहुंचाना है। इसका बेहतर माध्यम भी यह मेला है।

खुल रहे विलेज लेबल कोर्ट, डोर-टू-डोर मिलेगा न्याय !

बलिया। शासन द्वारा गरीबों के लिए जो तमाम योजनाएं लागू की जा रही हैं वे उन तक पहुंच रही हैं या नहीं, कौन सा आदमी उक्त लाभ से वंचित हो रहा है उसके लिए जनपद की प्रत्येक तहसील में क्लीनिक एड की व्यवस्था की गयी है। इस क्रम में पांच हजार विलेज लेबल कोर्ट खुल रहे हैं जिसका कार्य 2 अक्टूबर 2010 से शुरू हो जायेगा, डोर टू डोर जस्टिस होगा। उक्त उद्गार जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी शुक्ल ने दीवानी न्यायालय के सेन्ट्रल हाल में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर व्यक्त किये। इससे पूर्व जिला जज ने अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय कुशल पाल सिंह व अन्य न्यायिक अधिकारियों के साथ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्र“वलित कर शिविर का उद्घाटन किया। इस मौके पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जेके सिन्हा, तृतीय राधेश्याम सिंह, चतुर्थ जज एके झा, जेएम प्रथम एके गौतम, पूर्वी मुंसिफ आजाद सिंह, पश्चिमी अरुण कुमार, डीपी सिंह व राजेश मिश्रा मौजूद रहे। जिला जज ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस गरीब कुनबे को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है आप संकल्प लें कि किसी तरीके से उसे हर हालत में लाभ मिले। यही वास्तव में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस का उपयोग होगा। इससे पूर्व सचिव प्राधिकरण सीजेएम पीपी सिंह यादव, फास्ट ट्रैक कोर्ट नम्बर दो के जज बच्चू सिंह, गिरिजाशंकर सिंह (पूर्व विशेष मजिस्ट्रेट), कौशल कुमार सिंह (पूर्व अध्यक्ष क्रिमिनल बार), लक्ष्मण यादव, सुभाष चन्द्र पाण्डेय, अजीत सिंह, मुंशी लाल आजाद (प्रथम जज फास्ट टै्रक) ने पंचायती राज्य व्यवस्था, प्रीलिटिगेशन, न्याय पालिका पर बढ़ रहे बोझ समेत राष्ट्रीय विधिक दिवस 9 नवम्बर 1987 को कैसे लागू हुआ आदि बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने आह्वान किया कि जस्टिस पीएन भगवती की सोच को मूर्त रूप दिया जाए। कार्यक्रम का संचालन अनिल कुमार ने किया।

Sunday, November 8, 2009

ददरी मेला : वाकई लगा आज संडे है !

बलिया। ददरी के ऐतिहासिक मेले के अंदर रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण जनता की भीड़ पूरे दिन रही। लोगों ने परिवार के साथ मेले का लुत्फ उठाने के साथ ही खरीदारी भी की। सबसे अधिक भीड़ झूला, जादूगर व संगीत नृत्य कला स्टाल के पास रही। संगीत नृत्य पर युवाओं की भीड़ देखी गयी।

नगर के दक्षिणी छोर पर लगे इस मेले में वैसे तो प्रतिदिन भीड़ होती है लेकिन छुट्टी का दिन होने के कारण ज्यादातर लोग परिवार के साथ मेले में गये। बच्चे झूले पर चढ़ने के लिए आतुर दिखे। सर्कस, जादूगर व मौत के कुएं पर भीड़ रही। सुबह से ही मेले में ग्रामीण इलाके के लोग पहुंचने लगे थे। दुकानदार भी अपनी तैयारी इस दिन के लिए विशेष रूप से किये थे। शाम होते-होते ग्रामीण इलाके की भीड़ मेला देख व खरीदारी कर वापस लौट गयी। इसके बाद नगर सहित आसपास के लोगों की भीड़ मेले के अंदर पहुंच गयी जो देर रात तक चलती रही। मेले में भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तगड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया था। सदर कोतवाल जहां मेले में आने वाले अराजकतत्वों पर नजर रखे हुए थे वहीं मेला प्रभारी अजीत सिंह व गुण्डा दमन इंचार्ज सत्येंद्र सिंह यादव अपने हमराहियों के साथ भ्रमण करते रहे। नगर पालिका चेयरमैन संजय उपाध्याय भी भीड़ को देखते हुए अपने सहयोगियों के साथ मेले में डटे रहे।

मां के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

बलिया: ददरी मेले के मीना बाजार में स्थापित मां वैष्णो देवी के मंदिर का दर्शन करने के लिए हर कोई उतावला दिखा। जम्मू की वादियों में स्थापित मां के मंदिर को मूर्त रूप देने का प्रयास कर एक अस्थायी मंदिर का निर्माण किया गया है। इसमें ठीक वैसे ही चढ़ाई से मां का दर्शन होना है मां के दर्शन के लिए महिलायें व बच्चे कतार लगाये रहे।

हर परिस्थिति से मिलती है जीने की कला: बाल व्यास !

बलिया। जीवन में सुख-दुख समेत हर पल मानव को जीने की कला सिखाता है। विषम परिस्थितियों में भी प्रभु को भजने वाला ही विरक्ति व मोक्ष को प्राप्त करता है क्योंकि भगवान तो स्वयं मानव के धैर्य, श्रद्धा व भक्ति की पल-पल परीक्षा लेते रहते हैं।

उक्त बातें स्थानीय रामलीला मंच पर जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का व्याख्यान करते हुये वृंदावन के विख्यात बाल व्यास प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने कही।

अपने संगीतमय व्याख्यान व कथा के छठवें दिन रविवार की देर शाम बाल व्यास ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की धूम के बाद गोपियों संग भगवान कृष्ण की रासलीला का संगीतमय चित्रण किया। इसके श्रवण मात्र से ही सैकड़ों की संख्या में मौजूद महिलाएं व श्रोता-श्रद्धालु, गोपियों व कृष्ण भक्त की भांति भक्ति सागर में झूमने लगे।

वहीं वृंदावन छोड़ मथुरा जा रहे कृष्ण कथा के जीवंत चर्चा मात्र से ही वियोग में वृंदावन के गोपियों की अविरल अश्रुधारा बहने लगी। मथुरा पहुंच भगवान कृष्ण ने कंस व जरासंध वध के साथ ही समुद्र के अंदर सोने की द्वारिका बनायी एवं कुंदनपुर के महाराज की पुत्री रूक्मिणी के साथ विवाह रचाया।

उक्त अवसर पर संस्कृत मूल पाठ कर्ता पं. धनू उपाध्याय, अनूप जी, प्रदीप जी, प्रभात जी के अलावा आयोजन समिति सदस्य अनिल कुमार गुप्ता, अमरनाथ गुप्ता, त्रिलोकी नाथ, अंजनी, रमाकांत, मोहन मद्धेशिया, राकेश चौरसिया व मोहन वर्मा, विनय प्रकाश डेविड, बजरंग लाल अग्रवाल, लाला केदारनाथ व डा. परशुराम आदि शामिल थे।

राष्ट्र की आधारशिला है मातृशक्ति: अक्का !

बलिया। मातृशक्ति देश की आधार शिला होती है। शिक्षित नारियां न सिर्फ अपने परिवार वरन सम्पूर्ण समाज को स्वस्थ खुशहाल एवं उन्नतिशील बना सकती हैं। उक्त बातें स्थानीय सरस्वती बालिका विद्या मंदिर के प्रांगण में सरस्वती ताई आण्टे जन्म शताब्दी समारोह में बंगलोर निवासिनी राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख कार्य वाहिका शांता अक्का ने कहीं। इससे पूर्व समारोह स्थल पहुंचने पर उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा पुष्प वर्षा कर इनका स्वागत किया गया। अक्का ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री प्रकाश जी, जिला प्रचारक बैरिस्टर जी, नगर प्रचारक संजय जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंजू अग्रवाल ने की। अन्त में प्रधानाचार्य श्रीमती गायत्री राय ने उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

Saturday, November 7, 2009

ददरी मेला : बदलाव संग जारी है भृगु कालीन परम्परा !

बलिया। तारीख गवाह है कि हर काल खण्ड में अपने उत्कृष्ट कार्यों, स्मरणीय अवदानों से जनपद ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। पौराणिक काल से ही इस विमुक्त क्षेत्र को अति महत्ता मिली हुई है। अति विशिष्ट याज्ञिक आयोजनों की चली आ रही परम्परा और जन समागम आज भी ददरी मेले के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। कार्तिक पूर्णिमा से विशेष स्नान, गंगा तट पर कल्पवास, पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर महाआरती आदि आयोजनों के साथ ही मेले में लगने वाले पशु मेले और मीना बाजार से जहां प्रदेश से इतर व्यापारी आर्थिक उपार्जन करते हैं वहीं स्थानीय और समीपवर्ती जिलों के लोग भी अपनी जरूरत का सामान सुविधा से लाते हैं।

कार्तिक मास में संतों व महात्माओं के लिए तीन सबसे महत्वपूर्ण स्थलों का महत्व पूरे विश्व में माना गया है। इनमें कुरुक्षेत्र, हरिहर क्षेत्र के साथ ही भृगु क्षेत्र भी शामिल है। इन क्षेत्रों में कार्तिक मास में नदी तटों पर साधु संत कल्पवास करते हैं। इनमें भी भृगु क्षेत्र का अलग महत्व है। भृगु की इस तपो भूमि पर हर वर्ष कार्तिक भर गंगा व सरयू का इलाका गुलजार रहता है। कार्तिक पूर्णिमा के बाद यह क्षेत्र पूरी तरह से रमणीय हो जाता है। महर्षि भृगु के प्रिय शिष्य दर्दर मुनि के नाम से लगने वाला यह ऐतिहासिक मेला भी एक माह तक चलता है। नगर के दक्षिणी छोर पर लगने वाला यह मेला दो भाग में चलता है। शुरूआत में पशुओं के लिए नंदी ग्राम की स्थापना की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दिन से ही मीना बाजार की स्थापना हो जाती है जिसमें दूर-दराज के व्यापारी आते हैं।

जनश्रुतियों के अनुसार यह मेला ऋषि-मुनियोंकी तपोस्थली के रूप में जाना जाता था। महर्षि भृगु ने यहीं गंगा तट पर तपस्या की थी। लोक हितकारी कार्य के निर्विघन् पूर्ण होने से हर्षित भृगुजी ने इस विमुक्त क्षेत्र स्थित अपने आश्रम पर एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया जिसमें भारतवर्ष के ऋषि-मुनि, देव-दैत्य-दानव-यक्ष- गन्धर्व- रंक-भूपति तीर्थों को आमंत्रित किया गया। पूरे एक माह तक चले इस विराट महायज्ञ में भारी जन समागम हुआ। इस महायज्ञ की पूर्णाहुति कार्तिक पूर्णिमा की उस तिथि पर हुई जब सूर्य तुला राशि में रहा। इससे यह भू-भाग ऊर्जा से भर गया। महर्षि भृगु की इस परम्परा को उनके परम शिष्य महामुनि दर्दर व उनके बाद के ऋषि मुनियों ने जारी रखा। वह परम्परा आज भी कायम है। त्रेता व द्वापर युग में यह भू-भाग सूर्य मण्डल के उत्तर कोशल राजवंश के अवध-काशी एवं मगध-वैशाली राज्यों का सीमांत क्षेत्र था। ददरी मेले में इन चारों राज्यों के राजा व प्रजा जन आते थे। यज्ञ प्रवचन से लेकर सम्पूर्ण व्यवस्था ऋषि मुनियों के सानिध्य में गुरुकुल के बटुक, परिजन सम्भालते थे। सन् 1773 ई. से 1764 ई. तक इस क्षेत्र को काशीराज बलवंत सिंह का संरक्षण मिला। सन् 1739 में 29 दिसम्बर को भृगु क्षेत्र ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन हुआ। एक नवम्बर 1879 ई को जब बलिया जिला बना तो इस मेले की सारी व्यवस्था जिलाधीश की देख रेख में होने लगी। अब नगर पालिका परिषद इसकी सारी व्यवस्था करता है। ददरी मेला भारत के प्रसिद्ध पशुमेला स्नान पर्व से दस दिन पहले लगता है। इसमें उन्नत नस्ल की गाय, भैंस, बैल, बछडे़, घोड़े, गदहे, खच्चर आदि क्रय-विक्रय के लिए आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा स्नान कर लाखों श्रद्धालु महर्षि भृगु, दर्दर, बाल्मीकि, बाबा बालेश्वर नाथ का दर्शन-पूजन करते हैं। इसी दिन से मीना बाजार का मेला शुरू हो जाता है। इसमें विभिन्न तरह के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। साथ ही सर्कस, नौटंकी, झूला, चर्खी व खेल तमाशे भी इस मेले की रौनक बढ़ा देते है।

विद्यासागर तिवारी, सुधीर तिवारी


ददरी मेले में कार्यक्रम

दंगल 7 नवम्बर को, खेलकूद 7 से 11 नवम्बर तक, कव्वाली एवं सम्मान समारोह 11 को, लोकगीत 14 को, मुशायरा 17 को, ददरी महोत्सव 22 को तथा समापन 22 नवम्बर को होगा।

Thursday, November 5, 2009

महिलाओं को स्वावलम्बी बनाना समय की मांग : ईओ !

बलिया। नगर क्षेत्र के महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की ओर से संचालित समितियां निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होंगी। आने वाले दिनों में नगर क्षेत्र की महिलाओं को अपनी आवश्यक्ताओं के लिए किसी के सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ेगा वह भी पुरुषों की भांति ही स्वावलम्बी हो सकेंगी।

उक्त बातें अधिशासी अधिकारी नगर पालिका रमेशचंद सिंह ने गुरुवार को नगर के एक लाज में आयोजित समितियों के गठन कार्यक्रम में बतौर अतिथि बोलते हुए कही। श्री सिंह ने कहा कि आज के समय की यह मांग है कि महिलाओं को सम्मान मिले। इससे पूर्व लाज में इकट्ठी लगभग दो सौ महलाओं के बीच विभिन्न क्षेत्र की समितियों के पदाधिकारियों का निर्वाचन हुआ। बालेश्वर बाबा सामुदायिक विकास समिति के लिए कु.हीरा को अध्यक्ष, शास्त्री नगर एवं भृगु मुनि सामुदायिक विकास समिति के अध्यक्ष पद पर माया सिंह का निर्वाचन हुआ। इस अवसर पर अमरदेव सिंह चौहान डूडा, मुन्नी देवी सभासद, संजय सिंह, कन्हैया चौबे सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

Wednesday, November 4, 2009

ददरी मेले की रौनक बढ़ा रहीं सजी दुकानें!

बलिया। भृगु की नगरी में लगने वाले ऐतिहासिक ददरी मेले में बाहर से आये तथा स्थानीय व्यापारी अपनी-अपनी दुकानों को पूर्णत: तैयार करके मेले की रौनक में चार चांद लगा चुके हैं पर उन्हे इंतजार है देखने खरीदने वालों का। सभी दुकानदार अगली छुट्टी के इंतजार में हैं क्योंकि उनको पता है कि छुट्टी के दिन आने वाली भीड़ से ही मेला पूर्ण शबाब पर आयेगा। जहां मेले में दो रुपये हर एक माल से लेकर 25 रुपये हर एक माल तक का समान मिल रहा है वहीं सर्कस, झूले, मौत का कुंआ, खाने-पीने आदि की अनेक दुकानें लगी हैं। जबकि मेले में आये जादूगर अपना जादू दिखाने के लिए बच्चों की छुट्टियों के इंतजार में हैं। कहीं मेले में विज्ञान का नया चमत्कार आठ फीट के टैक में जिंदा जलपरी का प्रोग्राम दिखाया जा रहा है तो कहीं जादूगर भारत सरकार की तरफ से रूप बदलने वाली लड़की का जादू दिखाया जा रहा है। बच्चों के लिए इस बार मेले में झूला, वैष्णो मां का मंदिर, सर्कस, खिलौने की दुकानें आदि के बाद घूमते-घूमते भूख लगने पर खाने के लिए जुहू चौपाटी की भेलपूरी की दुकान, जलेबी, छोले, आइसक्रीम आदि है। पौधों की नर्सरी भी लग चुकी है। बस इंतजार है उस आने वाली भीड़ की जिससे मेला अपने वास्तविक गति को पकड़ ले।

Monday, November 2, 2009

कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों ने लगाई गंगा में डुबकी !

बलिया। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर महावीर घाट संगम तट पर सोमवार को भोर में लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगायी। इसके बाद महर्षि भृगु व बाबा बालेश्वर नाथ के मंदिरों में मत्था टेका। साथ ही दान-पुण्य भी किये। स्नान-ध्यान के बाद स्नानार्थियों ने ददरी मेले का भी आनंद उठाया। नगर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु रविवार की शाम से ही संगम तट की तरफ रुख कर लिये थे। यह क्रम अगले दिन दोपहर बाद तक चलता रहा। इस बार गंगा में लगभग दस लाख से अधिक लोगों ने डुबकी लगायी। संगम तट पर जिलाधिकारी सेंथिल पाण्डियन सी व पुलिस अधीक्षक चंद्र प्रकाश नहान के अंतिम दौर तक डटे रहे।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए जनपद एवं गैर जनपद से लोगों का जत्था एक दिन पूर्व से ही गंगा तट पर पहुंचने लगा था। बच्चे, बूढ़े, महिलाओं व युवा सबका एक ही मकसद रहा संगम तट पर गंगा में डुबकी लगाना। स्थिति ये रही कि लोगों ने आधी रात बाद से ही स्नान करना शुरू कर दिया। श्रद्धा, भक्ति में डूबी महिलायें मांगलिक गीत गाते हुए गंगा तट पर पहुंचीं। श्रद्धालु अपने ग्रुप की पहचान के लिए हाथों में पताका लिये हुए थे। स्नानार्थियों ने स्नान के बाद बाबा भृगु व बालेश्वर नाथ का दर्शन करके जलेबी, सत्तू, मूली का भी स्वाद लिया। प्रशासन के लिए राहत वाली बात यह रही कि जनता कई रास्ते से घाटों तक पहुंची। संगम तट पर जिलाधिकारी सेंथिल पाण्डियन सी, पुलिस अधीक्षक चन्द्र प्रकाश, अपर पुलिस अधीक्षक महात्मा प्रसाद, अपर जिलाधिकारी एके द्विवेदी, सिटी मजिस्ट्रेट कृष्णदेव तिवारी, सीओ गंगा राम, चिरंजीव मुखर्जी, नगरपालिका परिषद के चेयरमैन संजय उपाध्याय, ईओ रमेशचंद्र सिंह सहित सारे अधिकारी जमे रहे।

बैरिया प्रतिनिधि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को द्वाबा के शिवपुर, बहुआरा, दोकटी, सती घाट, भुसौला, शुक्लछपरा, मझौवां, दुर्जनपुर, पचरूखिया, नौरंगा गंगा घाटों सहित मांझी स्थित सरयू घाट पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने विभिन्न मन्दिरों में पूजन अर्चन किया।

गंगा मुक्ति चेतना रथ का भव्य स्वागत !

बलिया। गंगा मुक्ति चेतना रथ का क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रविवार को भव्य स्वागत किया गया। साथ ही गंगा मुक्ति अभियान को तेजी से चलाने पर जोर दिया गया। इस अवसर पर गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने कहा कि सरकार ने कुचक्र में पतित पावनी गंगा को टेहरी में कैद कर दिया गया है। अगर समय रहते गंगा को मुक्त नहीं किया गया तो देश का हर बच्चा आंदोलन के लिए सड़क पर होगा। यही समय है कि द्वाबा की जनता इस अभियान में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले। इस पर सैकड़ों लोगों ने हाथ उठाकर इस अभियान को सफल बनाने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर गंगा मुक्ति चेतना रथ के क्षेत्रीय प्रभारी प्रमोद कुमार तिवारी, रमाशंकर पांडेय, योगेन्द्र उपाध्याय, मुन्ना स्वर्णकार, जितेन्द्र कुमार सिंह, मनदेव राम सहित दर्जनों गंगा भक्त उपस्थित थे।

Sunday, November 1, 2009

हम स्वतंत्र तो गंगा क्यों रहें बंधन में: अविमुक्तेश्वरानंद !

बलिया। ज्योतिषपीठ और शारदापीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की प्रेरणा से उनके शिष्य और उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गंगा सेवा अभियान के तहत स्थानीय भृगु मंदिर से गंगा मुक्ति संग्राम का बिगुल फूंका। भृगु मंदिर से जन जागरण रैली बापू भवन पहुंची जहां स्कूली बच्चों को स्वामी जी ने गंगा मुक्ति का संकल्प दिलाया।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता हर व्यक्ति के हृदय की आवाज है जो स्वतंत्रता हमें अभीष्ट है वह दूसरों को भी मिले। गंगा हमारी माता हैं। आज वह बांधों के बंधन में हैं। जाने कितने बांध अभी प्रस्तावित हैं यदि वे बन जायेंगे तो गंगा एक गंदे नाले के रूप में रह जायेंगी। गंगा का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। कहा कि बलिया के लोगों ने जैसे आजादी का बिगुल फूंककर देश को आजाद किया उसी तरह गंगा मुक्ति का संग्राम भी बलिया से प्रारम्भ हो रहा है।

इस अवसर पर स्वामी परिपूर्णानंद सरस्वती ने कहा कि 'गंग सकल मुद मंगल मूला' जितने तरह की खुशियां है वह गंगा दे सकती है। गंगा-गंगा जो कोई कहे, नंगा भूखा कभी न रहे। यह जन सैलाब देखकर लगता है यह नन्हे मुन्ने बच्चे यह संदेश दे गये है कि गंगा एक दिन प्रदूषण और बांधों से जरूर मुक्त होगी। सभा को सुरेन्द्र यादव, छोटेलाल सिंह, सेवासद पंकज मिश्र, हरिकेश यादव, मुनचुन सिंह, गोरख सिंह, अशोक गुप्ता, सियाराम गुप्ता, दीपू वर्मा आदि ने भी सम्बोधित किया।

जागरण रैली को सफल बनाने में जिन विद्यालयों ने शिरकत किया उसमें राधाकृष्ण एकेडमी, नागाजी सरस्वती शिशु मंदिर, शक्ति स्थल हाईस्कूल, पार्वती शिक्षा निकेतन, आरके कम्प्यूटर इंस्टीटयूट आदि शामिल रहे। अंत में गंगा सेवा अभियान के राष्ट्रीय प्रधान ने विशेष रूप से राधाकृष्ण एकेडमी के प्रबंधक आदित्य मिश्र तथा रमाकांत चौटाला, जयबहादुर यादव, बुद्धु राम तथा बलिया के प्रबुद्ध जनों के प्रति कृतज्ञता जाहिर किया।